अपनी लंबित मांगों को लेकर पैंशनर्ज ने प्रदेश के अन्य सभी जिला मुख्यालय में धरने-प्रदर्शन किए
शिमला
प्रदेश के पैंशनर्ज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसी कड़ी में शुक्रवार को अपनी लंबित मांगों को लेकर पैंशनर्ज ने शिमला, ऊना, मंडी, सिरमौर, कांगड़ा सहित प्रदेश के अन्य सभी जिला मुख्यालय में धरने-प्रदर्शन किए। राजधानी शिमला में डीसी ऑफिस के बाहर आयोजित प्रदर्शन की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश पैंशनर्ज एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष आत्मा राम शर्मा ने की। इस मौके पर उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीते 23 अगस्त को एसोसिएशन की राज्य कार्यकारिणी की बैठक शिमला में हुई थी, जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा था। इसके माध्यम से मांग की गई थी कि एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल को 15 सितम्बर तक बातचीत के लिए बुलाए जाए और पैंशनर्ज के लिए जेसीसी का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके सरकार ने पैंशनर्ज को नजरअंदाज किया। उन्होंने सरकार को चेताते हुए कहा कि पैंशनर्ज रिटायर जरूर हुए हैं लेकिन टायर्ड नहीं हुए, ऐसे में यदि सरकार जल्द जेसीसी का गठन नहीं करती तो पैंशनर्ज सचिवालय का घेराव करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
चुनाव से पहले प्रलोभन, जीतने के बाद जाते हैं भूल
आत्मा राम शर्मा ने कहा कि नेता चुनावों के समय बड़े-बड़े प्रभोलन देते हैं लेकिन चुनाव जीतने के बाद सारे वायदे भूल जाते हैं। जनवरी 2016 से फरवरी 2022 के बीच जो रिटायर हुए हैं, उन पैंशनर्स का 5 से 7 लाख रुपया सरकार के पास फंसा पड़ा है। इस कैटेगरी के पैंशनर्ज के बारे में न सरकार और न ही ब्यूरोक्रेसी सोच रही है।
अपना पैसा मांग रहे, सरकार का काम इंतजाम करना
आत्मा राम शर्मा ने कहा कि पैंशनर्ज अपना पैसा मांग रहे हैं और पैसों का प्रबंध करना सरकार का काम है। ऐसे में आर्थिक हालत का हवाला बार- बार देना सही नहीं है। 1 जनवरी 2016 से लेकर 31 जनवरी 2022 तक रिटायर हुए कर्मचारियों को आज दिन तक संशोधित पैंशन के एरियर, लीव इनकैशमैंट, ग्रैच्युटी व कम्युटेशन को देने को लेकर कोई घोषणा नहीं की है। महंगाई राहत की 12 प्रतिशत बढ़ौतरी देय तिथि से जारी हो। लंबित चिकित्सा बिलों का तुरंत भुगतान किया जाए। प्रत्येक माह की 1 तारीख को पैंशन की अदायगी सुनिश्चित की जाए।
ब्यूरोक्रेसी को भी लिया आड़े हाथ
आत्मा राम ने मीडिया से बातचीत में ब्यूरोक्रेसी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार ब्यूरोक्रेसी को जैसे चलाएगी, वह वैसे चलेगी। सरकार को पैंशनर्स की बातों को सुनना चाहिए और सभी पहलुओं को देख आगे ब्यूरोक्रेसी को निर्देश देने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ आर्थिक संकट की बात हो रही है तो दूसरी तरफ ब्यूरोक्रेसी 12 प्रतिशत डीए ही ले रही है जबकि पैंशनर्ज को तो ये भी नहीं मिला है। प्रदेश के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ कि पैंशनर्स को 10 तारीख को पैंशन दी जा रही है।