मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश की संस्कृति को सुरों की माला में पिरोने की कोशिश है एल्बम ‛प्यारो मध्यप्रदेश’

मध्यप्रदेश की संस्कृति को सुरों की माला में पिरोने की कोशिश है एल्बम ‛प्यारो मध्यप्रदेश’

कला कभी भी घर-परिवार, बड़ा शहर, अमीरी, विलासिता देख कर अपना वारिस नहीं चुनती। वह तो कहीं भी, किसी के अंदर भी समा सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी है मध्यप्रदेश के छोटे से शहर गुना से निकल कर अपनी अलग पहचान बनाने वाली शुचिता व्यास की। सिंगर, कंपोजर और लिरिसिस्ट सुचिता व्यास अपने संगीत के साथ कुछ अलग तरह की प्रस्तुतियां देती हैं। वह इंडियाज़ गॉट के सीज़न 2 में भी दिखाई दी थीं। गुना से निकलकर वर्ल्ड टूर करने तक के सफर के बारे में ‛सुचिता व्यास’ ने ‛प्रदेश टाइम्स’ से खास बातचीत की।

मेरी सफलता के लिए पिता ने किया संघर्ष

शुचिता ने बताया कि मेरे पिताजी को गाने का काफी शौक था। वे मुकेश के गीत गाया करते थे। उन्होंने मेरे अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और हर कदम पर मेरा साथ दिया। बचपन से ही मैं स्थानीय समारोहों और स्टेज शोज में हिस्सा लेने लगी थी। पापा की बैंगल्स की शॉप थी, उन्होंने उसे मम्मी को संभालने को कहा और मेरे साथ 2007 में मुंबई आ गए। वहां हम दोनों ने बहुत संघर्ष किया। हमारा घर नाला सुपारा में था और टी-सीरीज का ऑफिस अंधेरी में था। हम घर से अंघेरी तक ट्रेन में आते फिर वहां से बस या ऑटो न करते हुए पैसे बचाने के लिए पैदल चलकर टी-सीरीज के ऑफिस जाते। ये हमारा रोज का रूटीन था। करीब 4 महीने हमने रोज ये किया ये सोचकर कि किसी दिन कोई मेरा गाना सुन लेगा और मुझे मौका मिलेगा। आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने पिता की वजह से हूं।

2-3 साल की रिसर्च का नतीजा है मेरा एल्बम प्यारो मप्र
वे बताती हैं, अब गुजरात और राजस्थान के गीतों के बाद मैंने मध्यप्रदेश के फोक सॉन्ग्स को आगे बढ़ाने का सोचा है। मेरा नया एलबम लॉन्च हो रहा है, जिसका नाम है – प्यारो मध्यप्रदेश। अभी इसमें छह गाने हैं, जो अलग-अलग रीजन के हैं। निमाड़ी, मालवा, बघेलखंड, बुंदेलखंड के गाने है। ये सभी गाने मेरी 2-3 साल की रिसर्च वर्क से तैयार किए हैं। गाने काफी अच्छे बने हैं। भविष्य में और भी गाने इस एलबम में जोड़ूंगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button