विदेश

अमेरिका और चीन को पीछे छोड़कर तुर्की दुनिया का सबसे बड़ा हमलावर ड्रोन सप्लायर बन गया

नईदिल्ली

तुर्किए (तुर्की) दुनिया का सबसे बड़ा हमलावर ड्रोन सप्लायर बन चुका है. उसने इस मामले में अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ दिया है. अगर दुनिया में 100 ड्रोन बिक रहे हैं, तो उसमें से 65 अकेले तुर्की बेंच रहा है. यह खुलासा किया है सेंटर फॉर न्यू अमेरिका सिक्योरिटी (CNAS) ने. आइए जानते हैं कितने का हो रहा है इंटरनेशनल डिफेंस डील?

पिछले तीन दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन यानी यूसीएवी (Unmanned Combat Aerial Vehicle) को बेंचन वाला बेताज बादशाह बन चुका है. मार्केट पर इसका सबसे ज्यादा कब्जा है. 1995 से 2023 के बीच तुर्की ने अपनी ड्रोन तकनीक, बिक्री में काफी ज्यादा बढ़ोतरी की है. इसमें आत्मघाती ड्रोन्स यानी कामीकेज भी शामिल हैं.

असल में इस रिपोर्ट को लिखने वाले लोग यानी स्टेशी पेटीजॉन, हन्नाह डेनिस और मोली कैंपबेल ने जून में ही एक लेख लिखा था. जिसमें तुर्की के बढ़ते ड्रोन व्यापार का पूरी डिटेल थी. इसमें अमेरिका और चीन उससे काफी ज्यादा पीछे हो चुके थे. ड्रोन ट्रांसफर यानी प्रोलीफिरेशन को लेकर तुर्की के पास कई आसान नियम हैं. इसलिए लोग उसके पास जा रहे हैं.

कभी इजरायल और अमेरिका का जलवा होता था

एक समय था जब ड्रोन के मार्केट में इजरायल और अमेरिका का करिश्मा था. लेकिन उसे अब चीन, तुर्की और ईरान ने तोड़ दिया है. ये तीनों देश सस्ते दामों में मिलिट्री ड्रोन्स प्रदान कर रहे हैं. जिसकी वजह से अलग-अलग देश और सरकारें इन्हें खरीद रही हैं. तुर्की का जलवा उसके बेरक्तार टीबी2 ड्रोन्स (Bayraktar TB2) ने बनाया.

इनका इस्तेमाल लीबिया, नागोरनो-काराबख और यूक्रेन में हमले के दौरान सफलतापूर्वक किया गया. 2022 में छह देशों ने तुर्की से बेरक्तार मिलिट्री ड्रोन्स खरीदे. चीन की ड्रोन बिक्री 2014 में थी. लेकिन 2021 आते-आते तुर्की ने चीन को पीछे छोड़ दिया. वजह है सस्ते ड्रोन्स, जल्दी डिलिवरी और जंग के मैदान में तगड़ी मारक क्षमता.

 स्थानीय इलाकों में ड्रोन का ट्रांसफर हुआ आसान

1995 से 2023 तक 633 ड्रोन ट्रांसफर हुए हैं. 40 फीसदी ड्रोन यूरोप गए. मिडिल ईस्ट में भी ड्रोन गतिविधियां बढ़ी हैं. यहां पर 134 ड्रोन ट्रांसफर हुए हैं. इसके बाद अफ्रीका में भी ड्रोन्स गए हैं. साल 2020 के बाद हर साल दो ड्रोन ट्रांसफर हो रहे हैं. पूरी दुनिया में हमलावर ड्रोन्स की जितनी भी बिक्री होती है, उसका 65 फीसदी हिस्सा तुर्की बेंच रहा है. चीन 26 फीसदी और अमेरिका के हिस्से में ये कारोबार सिर्फ 8 फीसदी ही बचा है.

 

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