राजनीति

हरियाणा विधानसभा चुनाव: भाजपा के लिए करनाल जैसे गढ़ को ही संभालना मुश्किल, क्या कर रहे CM सैनी

नई दिल्ली
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने के बाद से ही बवाल मचा हुआ है। पार्टी के करीब एक दर्जन बागी नेता चुनाव में उतरने की तैयारी में हैं तो वहीं ऐसे भी कई नेता हैं, जो पालाबदल कर सकते हैं। इन नेताओं में से एक करण देव कांबोज भी हैं, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांबोज यमुनानगर की रादौर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे। लेकिन इनकार होने के बाद से ही नाराज हैं और ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष पद से ही इस्तीफा दे दिया है। उनका असर करनाल तक भी है।

अब वह दिल्ली में भूपिंदर सिंह हुड्डा से मिलकर आ चुके हैं और चर्चा है कि 10 सितंबर को वह इस पर फैसला कर सकते हैं। मनोहर लाल खट्टर यहीं से विधायक चुने जाते रहे और सीएम बने। फिर उनके बाद मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी भी यहीं से विधायक हैं। खबर है कि करण देव कांबोज को भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सरकार बनने पर कोई अहम जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव दिया है। वहीं उन्होंने कांग्रेस से इंदरी सीट से टिकट मांगा है। लेकिन इसके मूड में कांग्रेस नहीं है क्योंकि वहां से राकेश कांबोज का नाम पहले ही तय किया जा चुका है।

ऐसी स्थिति में भाजपा इसे सुरक्षित मानती रही है, लेकिन यहां भी बगावत होने से नेतृत्व टेंशन में है। यही वजह है कि खुद मनोहर लाल खट्टर अब डैमेज कंट्रोल की भूमिका में आ गए हैं। मनोहर लाल खट्टर रविवार को करनाल पहुंचे और पूर्व मेयर रेनू बाला के घर भी गए। रेनू बाला से बाद में सीएम नायब सिंह सैनी ने भी बात की। रेनू बाला ने करनाल विधानसभा सीट से जगमोहन आनंद को चुनाव में उतारने का विरोध किया है। इसके बाद भी हालत यह है कि रेनू बाला, उनके पति ब्रज गुप्ता और उनके समर्थकों ने साफ कहा कि हम अपनी बात पर अडिग हैं। खट्टर के आग्रह पर इन लोगों ने कहा कि हम आखिरी फैसला 10 सितंबर को बताएंगे।

रेनू बाला गुप्ता ने बताया कि हमने खट्टर जी को अपनी बात कह दी है। समर्थकों के साथ 10 सितंबर को कार्यक्रम करेंगे और फिर आगे का फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मनोहर लाल खट्टर से लेकर नायब सिंह सैनी तक को जिताने में हमारा योगदान रहा है। ऐसे में अब हमारी राय को अनसुना करना अखरता है। इसी तरह करनाल के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सुखीजा भी खफा हैं। उनका कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने कोई राय नहीं ली। वह तो इस सीट से दावेदारों में सबसे वरिष्ठ थे, लेकिन पार्टी ने नजरअंदाज ही कर दिया। इसके साथ ही करनाल भाजपा में बगावती सुर तेजी से बढ़ रहे हैं।

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