हुंदै की 2023 में कुल बिक्री नौ प्रतिशत बढ़कर 7,65,786 इकाई पर
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की बिक्री 2023 में 45 प्रतिशत बढ़कर 2,33,346 इकाई पर
नई दिल्ली
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की 2023 में थोक बिक्री 46 प्रतिशत बढ़कर 2,33,346 इकाई हो गयी। इससे पिछले साल कंपनी ने 1,60,364 वाहन बेचे थे।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (टीकेएम) की ओर से जारी बयान के अनुसार, 2022 में 1,60,364 इकाइयों की तुलना में 2023 में घरेलू बिक्री 2,21,356 इकाई रही।
2023 में निर्यात 11,984 इकाई रहा।
टीकेएम के उपाध्यक्ष-बिक्री एवं रणनीतिक विपणन अतुल सूद ने कहा कि विभिन्न खंडों की बिक्री मिलाकर सालाना आधार पर कैलेंडर वर्ष 2023 में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘मासिक आधार पर लगातार बेहतर प्रदर्शन साथ ही सालाना आधार पर वृद्धि हमारे सभी खंड़ों में ग्राहकों की बढ़ती दिलचस्पी का संकेत है। ''
कंपनी के अनुसार, दिसंबर, 2023 में टीकेएम ने 119 प्रतिशत अधिक 22,867 इकाइयां बेचीं। दिसंबर 2022 में कंपनी ने 10,421 वाहन बेचे थे।
हुंदै की 2023 में कुल बिक्री नौ प्रतिशत बढ़कर 7,65,786 इकाई पर
नई दिल्ली
हुंदै मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) की 2023 में कुल बिक्री सालाना आधार पर नौ प्रतिशत बढ़कर 7,65,786 इकाई रही है। घरेलू बाजार में रिकॉर्ड बिक्री के दम पर कंपनी यह आंकड़ा हासिल कर पाई है।
एचएमआईएल की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई है। कंपनी ने 2022 में कुल 7,00,811 वाहन बेचे थे।
बयान के अनुसार, कंपनी की घरेलू बिक्री कैलेंडर साल 2023 में सबसे अधिक रही है और यह छह लाख इकाइयों का आंकड़ा पार कर गई है। कंपनी ने 2023 में घरेलू बाजार में 6,02,111 इकाइयां बेचीं जो पिछले साल के 5,52,511 के आंकड़े की तुलना में नौ प्रतिशत अधिक है।
कंपनी का 2023 में निर्यात 10 प्रतिशत बढ़कर 1,63,675 इकाई हो गया। यह 2022 में 1,48,300 इकाई रहा था।
हुंदै मोटर इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) तरुण गर्ग ने कहा कि कंपनी ने न केवल अपनी गति बरकरार रखी है, बल्कि करीब 8.2 प्रतिशत की अनुमानित उद्योग की वृद्धि के आंकड़े को भी पार कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा 2023 में हमने अपने ग्राहकों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी वार्षिक उत्पादन क्षमता में 50,000 इकाइयों का विस्तार किया।''
उच्च आयात शुल्क, कृषि क्षेत्र को खोलने के दबाव से निपटना खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी : रिपोर्ट
नई दिल्ली
चावल जैसी महत्वपूर्ण खाद्य उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क बनाए रखना और घरेलू बाजार को कम शुल्क के लिए खोलने के दबाव से निपटना देश को आत्मनिर्भर बनाए रखने और इसकी आबादी की खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है।
सोमवार को एक रिपोर्ट में यह बात की गई।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत को बेहतर स्वास्थ्य परिणामों को बढ़ावा देने और आयात खर्च कम करने के लिए आयातित वनस्पति तेलों पर अपनी निर्भरता कम करने की जरूरत है।
इसके लिए उपभोक्ताओं को आयातित तेलों के बदले सरसों, मूंगफली और चावल की भूसी जैसे स्थानीय रूप से उत्पादित तेलों के उपयोग के स्वास्थ्य लाभों के बारे में शिक्षित करने की जरूरत होगी।
भारत दुनिया में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। इसका आयात 2017-18 में 10.8 अरब अमेरिकी डॉलर से 2023-24 में दोगुना होकर 20.8 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ वर्तमान में उत्पादन को अधिकतम करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करके आयात को हतोत्साहित करने के लिए उच्च शुल्क (या आयात शुल्क) और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी देकर कृषि का समर्थन करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित और कृषि-निर्यातक देश हमेशा भारत जैसे विकासशील देशों पर अपने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कृषि वस्तुओं पर शुल्क और सब्सिडी में कटौती करने का दबाव डालते हैं।
भारत ने कम आयात पर रोक लगाने के लिए उच्च आयात शुल्क (संवेदनशील वस्तुओं पर 30-100 प्रतिशत) तय किए हैं। भारत अपने एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) भागीदारों के लिए भी संवेदनशील वस्तुओं पर शुल्क में कटौती नहीं करता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इससे भारत करीब सभी उत्पादों में आत्मनिर्भर हो गया है।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यह हरित और श्वेत क्रांति जैसी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने उच्च आयात शुल्क और 1.4 अरब लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा चिंताओं की रक्षा के लिए डब्ल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) में सक्रिय बातचीत और भारतीय कृषि को सब्सिडी आयात के लिए खोलने के विकसित देशों के दबाव में न आने से संभव हो पाया है।''