देश

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी कहा – गुंडों का समूह है लोन रिकवरी फर्म

नई दिल्ली

बैंकों के एजेंटों की तरफ से लोन समय पर भुगतान नहीं करने पर लोन लेने वाले व्यक्ति को प्रताड़ित किया जाता है. ऐसे मामले अक्सर विभिन्न मीडिया माध्यमों में आते रहते हैं. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोन लेने वाले व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लोन वसूली वाली संस्था के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंकों का लोन वसूलने वाली संस्थाएं गुंडों का गिरोह मालूम पड़ती हैं. ये संस्थाएं ताकत से लोन धारकों को सताती हैं. ऐसे में अगर संस्थाओं के खिलाफ शिकायत मिले तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करे. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में लोन लेने वाले व्यक्ति की अर्जी पर सुनवाई करते हुए पुलिस को आरोपी लोन वसूली संस्था के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का आदेश दिया. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने लोन वसूली एजेंट से मुआवजा वसूल कर पीड़ित याचिकाकर्ता को देने का भी हुक्म पुलिस को दिया है.

बस खरीदने के लिए देवाशीष ने लिया था लोन

यह पूरा मामला कोलकाता के देवाशीष बी रायचौधुरी का है. जानकारी के मुताबिक उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया से बस खरीदने के लिए 2014 में 15 लाख रुपए का लोन लिया था. दिसंबर 2014 से उसका भुगतान 26502 रुपए मासिक किस्त के जरिए 84 महीने में होना था. बस के कागज बैंक के पास गिरवी थे. कुछ महीने भुगतान होता रहा. फिर भुगतान नहीं हुआ तो बैंक के रिकवरी एजेंट ने पहले तो धमकाया और फिर दुर्व्यवहार किया. इसके बाद बस को जब्त कर लिया.

इसको लेकर दोवाशीष बी रायचौधुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए पीठ ने इसे अनुचित मानते हुए मुआवजे की रकम तय कर रिकवरी एजेंट से इसकी वसूली का आदेश दिया है.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button