सबको पछाड़ा 90 साल की उम्र में ये बुजुर्ग महिला बनी गांव की मुखिया, इस पद पर नहीं रहेगी 5 साल, जानिए वजह
जमुई
बिहार में जमुई में कमाल हो गया। 90 साल की दादी ने सबको पछाड़ दिया। डाढ़ा गांव के लोग पटाखे फोड़ रहे हैं। मुखिया के चुनाव में दादी जीत गईं। अब दादी मुखिया बन गईं। जब दादी ने पर्चा दाखिल किया था तो पंचायत के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया था। एंटी पार्टी ने तो भाव ही नहीं दिया था। मगर, दादी ने सबकी बोलती बंद कर दी। शायद ही कोई घर था, जहां बुजुर्ग महिला ने जाकर वोट न मांगा हो।
दादी बन गईं अब मुखिया दादी
चनाव जीतने के बाद बुजुर्ग महिला सुनीता देवी ने मीडिया को बताया कि मजाक में ही बेटे ने चुनाव लड़ने के लिए कहा तो मैंने हां कर दी। इसके बाद घर-घर जाकर लोगों से मिली, उनसे बात की और वोट देने के लिए कहा। नतीजा ये रहा कि 90 साल की सुनीता देवी ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी नौजवान ललिता देवी को 140 वोटों से पटखनी दे दीं। जमुई की सबसे बुजुर्ग महिला मुखिया दादी बन गईं।
दादी की आखिरी ख्वाहिश पूरी
90 साल की सुनीता देवी का भरा-पूरा परिवार है। उनके चार बेटे हैं। नोती-पोता भी है। बताया जा रहा है कि सुनीता देवी के 10 नाती-पोते हैं। मां की चाहत को पूरा करने के लिए बेटों ने भी भरपूर साथ दिया। गांव के लोगों ने दादी के जज्बे को सम्मान दिया। सपोर्ट ऐसा कि उनकी आखिरी ख्वाहिश को पूरी कर दी। सुनीता देवी के बेटे विजय यादव ने मीडिया से कहा कि मां की जीत से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
बहू के नहीं रहने पर सास बनीं मुखिया
दरअसल, जमुई जिले के बरहट ब्लॉक के डाढ़ा पंचायत में मुखिया पद के लिए 90 साल की बुजुर्ग महिला सुनीता देवी ने नामांकन का पर्चा भरा था। इससे पहले उनकी बहू पंचायत मुखिया हुआ करती थीं। उनके निधन के बाद पंचायत में उपचुनाव हुआ। जिसके बाद बहू के नहीं रहने के बाद सास की उम्मीदवारी पर लोगों ने भरोसा जताया। सुनीता देवी को 1 हजार 728 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी ललिता देवी ने 1 हजार 588। चूंकि, महिला के लिए सीट रिजर्व था तो कोई महिला की चुनाव लड़ सकती थी। लिहाजा, बहू के नहीं रहने पर सास का सपना पूरा हो गया।
5 साल नहीं रह सकेगी मुखिया, जानिए क्या है कारण
भले हीं सुनीता देवी मुखिया पद पर विजयी हो गई है, लेकिन अब 5 साल वह मुखिया का कार्यकाल पूरा नहीं करेंगी. इसके पीछे भी एक बड़ा हीं अनोखा कारण है. दरअसल, सुनीता देवी जिस सीट पर मुखिया बनी है वह सीट उनके बहू के निधन के बाद खाली हुई है और इस पंचायत में 28 दिसंबर को उपचुनाव कराया गया था. उप चुनाव के बाद सुनीता देवी इस पद पर काबिज हुई है.
ऐसे में अब वह 2026 तक इस पंचायत की मुखिया रहेगी. इसके बाद दोबारा इस पंचायत में चुनाव कराया जाएगा. सुनीता देवी ने कहा कि वह अपने पंचायत के लोगों के लिए काम करना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि उम्र का एक बड़ा हिस्सा काट चुकी है और लोगों को काफी अच्छे से समझती हैं. लोगों को देखकर हीं उनके बारे में जान जाती हैं. ऐसे में उनके लिए काम करने में किसी प्रकार की मुश्किल नहीं आएगी. हालांकि यह बताते चलें कि सुनीता देवी के पुत्र विजय कुमार यादव इस पूरे पंचायत का काम देखते हैं.