उत्तर प्रदेश

69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा, कहा- यह सरकार आरक्षण विरोधी है

लखनऊ
69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार आरक्षण विरोधी है। इस मामले में उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ ने सरकार के आरक्षण विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने शनिवार को कहा कि दलितों और पिछड़ों के हक के लिए सिर्फ जुबानी जमा खर्च करने वाली भाजपा सरकार हर कदम पर उनके साथ छल करती है। यह सरकार दलितों और पिछड़ों को उनके जायज हक से महरूम रखने का हरसंभव प्रयास करती है। हालत यह है कि सरकार के अपने मंत्री और सहयोगी दल, सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर आइना दिखा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि सरकार के वे मंत्री, जो आज कोर्ट के फैसले को सही बता रहे हैं, वो भी इस अन्याय पर चुप थे। जबकि, पीड़ित अभ्यर्थियों ने इन सभी के दरवाजों पर न्याय की गुहार लगाई थी। यह तब भी चुप थे, जब न्याय मांगने पर अभ्यर्थियों को लाठियों से पीटा जा रहा था। जब अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास से लेकर इको गार्डन तक न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे और मुख्यमंत्री के इशारे पर उनका दमन किया जा रहा था, तब सरकार के मंत्री, जो आज अपनी राजनीति बचाने के लिए उनके शुभेच्छु बन रहें हैं, उस वक्त मौन की चादर ओढे़ हुए थे। उन्होंने कहा कि इस भाजपा सरकार और उसके सहयोगी दलों का आरक्षण के मामले पर यही चाल, चरित्र और चेहरा है। सरकार तत्काल हाई कोर्ट द्वारा सुझाए गए एवं आरक्षण के सभी नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करे।

वहीं, कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार की साजिशों को करारा जवाब है। यह पांच वर्षों से सर्दी, गर्मी, बरसात में सड़कों पर निरंतर संघर्ष कर रहे अमित मौर्या जैसे हज़ारों युवाओं की ही नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले हर योद्धा की जीत है।"

उन्होंने आगे लिखा, "आरक्षण छीनने की भाजपाई जिद ने सैकड़ों निर्दोष अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है। पांच साल ठोकरें खाकर बर्बाद होने के बाद जिनको नई सूची के जरिए नौकरी मिलेगी और जिनका नाम अब चयनित सूची से कट सकता है, दोनों की ही गुनहगार सिर्फ भाजपा है। ‘पढ़ाई’ करने वालों को ‘लड़ाई’ करने पर मजबूर करने वाली भाजपा सरकार सही मायने में युवाओं की दुश्मन है।"

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की सूची नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की चयन सूचियां को दरकिनार कर नियमों के तहत तीन माह में नई चयन सूची बनाने के निर्देश दिए।

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