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पुलिस आसाराम को पूरी सुरक्षा के साथ जोधपुर एम्स से सेंट्रल जेल ले गई, जोधपुर एम्स में भर्ती थे

जोधपुर
नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सजा काट रहे आसाराम को जोधपुर एम्स से छुट्टी मिल गई है। पुलिस आसाराम को शनिवार को पूरी सुरक्षा के साथ जोधपुर एम्स से सेंट्रल जेल ले गई। आसाराम पिछले कुछ दिनों से जोधपुर एम्स में भर्ती थे।
शनिवार को जोधपुर एम्स से डिस्चार्ज किए जाने के बाद आसाराम को देखने के लिए अस्पताल के गेट पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। अस्पताल के गार्ड और पुलिस जवान कड़ी मशक्कत से आसाराम को एंबुलेंस में बैठाकर एम्स से बाहर निकले।

आसाराम की कुछ दिनों पहले अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट में पैरोल की अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने आसाराम को इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल दे दी। आसाराम आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। करीब 11 साल बाद 13 अगस्त को पहली बार आसाराम को इलाज के लिए 7 दिनों की पैरोल मिली।

वो पुलिस कस्टडी में इलाज के लिए महाराष्ट्र जाएंगे। वहां पर पुणे के माधवबाग आयुर्वेदिक अस्पताल में उनका इलाज होगा। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश जेल प्रबंधन और पुलिस कमिश्नरेट को मिल चुके हैं। आसाराम को पैरोल के दौरान सुरक्षा का पूरा खर्च उन्हें खुद उठाना पड़ेगा। इसमें उनकी सुरक्षा में मौजूद पुलिसकर्मियों के वेतन भत्ते भी शामिल हैं। इसका पूरा खर्चा पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर तय करेगा। पैरोल के दौरान मीडिया से बातचीत की भी मनाही होगी।

बता दें कि आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म के दो मामले दर्ज हैं। इसकी वजह से वो जेल की सलाखों के पीछे हैं। नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में आसाराम को जोधपुर पुलिस ने इंदौर के आश्रम से साल 2013 में गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पांच साल की लंबी सुनवाई के बाद 2018 में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वहीं दूसरा मामला गुजरात के गांधीनगर आश्रम का है, जहां आसाराम के खिलाफ एक महिला ने रेप का मामला दर्ज करवाया था। गांधीनगर कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए साल 2023 में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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