मध्यप्रदेश

भारतीय हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर पर पैसों की बरसात, मोहन सरकार देगी 1 करोड़

भोपाल
 मध्‍य प्रदेश सरकार ओलंपिक खेलों में कांस्‍य पदक विजेता भारतीय हाॅकी टीम के सदस्‍य विवेक प्रसाद सागर को एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। उल्‍लेखनीय है कि विवेक प्रसाद सागर मध्‍य प्रदेश के इटारसी के निवासी हैं। मुख्‍यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी मध्यप्रदेश के गौरव विवेक प्रसाद सागर से वीडियो कॉल के माध्यम से बात कर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

उन्‍होंने इस दौरान कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से विवेक को एक करोड़ रुपए दिए जाएंगे। मुख्‍यमंत्री ने यह भी कहा कि जिस लगन और परिश्रम से टीम ने देश को गौरवान्वित किया है, वह प्रशंसनीय है। उल्‍लेखनीय है कि कल पेरिस में ओलंपिक खेलों की हॉकी स्‍पर्धा में भारतीय टीम ने स्‍पेन को 2-1 से पराजित कर कांस्‍य पदक अपने नाम किया।

विवेक भी इस टीम के सदस्‍य थे। भारतीय टीम ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक खेलों में हॉकी का कांस्‍य पदक अपने नाम किया है। मप्र पुलिस में डीएसपी विवेक प्रसाद सागर इटारसी से 15 किलोमीटर दूर गांव शिवनगर चांदौन के निवासी हैं। कल उनके गांव में भी जीत का जश्‍न मनाया गया।

विवेक दूसरी बार ओलिंपिक में मध्यप्रदेश से प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इससे पहले टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भी भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। भारत ने लगातार दूसरे ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने का रिकॉर्ड 52 साल बाद बनाया है। जीत के बाद विवेक सागर ने सभी के सपोर्ट के लिए धन्यवाद किया है।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलिंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा, ''पेरिस ओलंपिक्स में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी, हमारे मध्य प्रदेश के गौरव श्री विवेक सागर प्रसाद जी को वीडियो कॉल के माध्यम से बातकर बधाई और शुभकामनाएं दीं. मध्य प्रदेश सरकार की ओर से विवेक को 1 करोड़ रुपए दिए जाएंगे.''

बता दें कि ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी हॉकी टीम के लिए प्राइज मनी की घोषणा की है. उन्होंने भारतीय टीम के डिफेंडर अमित रोहिदास को 4 करोड़ रुपए की प्राइज मनी देने का ऐलान किया है. इसके साथ बाकी टीम के खिलाड़ियों को 15-15 लाख रुपए देने की घोषणा की है. सपोर्ट स्टाफ को भी 10 लाख रुपए मिलेंगे.

विवेक की मां ने शिव मंदिर में की पूजा

चांदौन में विवेक सागर प्रसाद के घर जश्र मनाने के बाद उनकी मां कमलादेवी शिव मंदिर पहुंचीं और पूजा-अर्चना की। बहन पूजा की खुशी का ठिकाना नहीं है। भाई विद्यासागर ने बताया कि विवेक को वीडियो कॉल किया था। शोर बहुत था, बात नहीं हो सकी, केवल वीडियो कॉल पर खुशियां शेयर कीं, रात में बात हो सकेगी।

पिता बोले- पहले मैं उसे आगे जाने नहीं दे रहा था

हॉकी टीम की जीत में विवेक की कितनी मेहनत रही? इस पर उनके पिता रोहत सागर ने कहा कि विवेक ने मेहनत की है। पहले मैं उसे हॉकी के लिए आगे जाने नहीं दे रहा था फिर एमपी अकादमी में उसका चयन के बाद विवेक को सपोर्ट करने लगा। भारतीय टीम के जीतने से वह बेहद खुश हैं। उनके गांव और शहर में हॉकी खिलाड़ियों में भारत की जीत को लेकर उत्साह है।

भाई ने कहा- सोचा था, इस बार मेडल का रंग बदलेगा

विवेक सागर के भाई विद्या सागर ने कहा कि ब्रॉन्ज मेडल जीता है, खुशी की बात है। इस बार सोचा था मेडल का रंग बदलेगा, लेकिन सेमीफाइनल को अचीव नहीं कर पाए। सेमीफाइनल में एक गोल से हार मिली। कल का मैच में पेनाल्टी शूट के बाद जीत मिली है। लगातार दूसरी बार ब्रॉन्ज मेडल मिला है।

विवेक ने कहा था- हॉकी में मेहनत के साथ अनुशासन जरूरी

2020 में तत्कालीन सीएम शिवराज ने भोपाल में विवेक को डीएसपी बनाने की घोषणा की। इसके बाद विवेक ने कहा था- मैं अपने माता-पिता के लिए पक्की छत का इंतजाम करना चाहता हूं। मप्र की हॉकी अकादमी विश्व की सबसे अच्छी अकादमी है। मैं 2013 में यहां छोटे से गांव से आया था। आप लोग भी आगे जा सकते हैं। मेहनत के अलावा अनुशासन भी जरूरी है।

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पिता पढ़ाना चाहते थे

इटारसी के चांदौन गांव के रहने वाले विवेक जब छोटा था। तब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पिता को विवेक का हॉकी खेलना पसंद नहीं था। वे चाहते थे कि विवेक पढ़ाई पर ध्यान लगाए और पढ़-लिखकर इंजीनियर बने, लेकिन विवेक को हॉकी खेलने का जुनून चढ़ चुका था। वह चांदौन से इटारसी आते और ग्राउंड पर हॉकी खेलना सीखने लगे।

कई बार तो दोस्तों से स्टिक लेकर प्रैक्टिस करते। उनकी इस लगन को देखते हुए मां कमला देवी, बड़े भाई विद्या सागर, बहन पूनम और पूजा सपोर्ट करने लगे। अकोला टूर्नामेंट में हॉकी खेलते समय विवेक पर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार की नजर पड़ी थी। उन्होंने विवेक के खेल को देखकर एमपी एकेडमी जॉइन करने का ऑफर दिया था। 13 साल की उम्र में विवेक ने हॉकी एकेडमी जॉइन कर ली थी। हालांकि, बाद में पिता ने भी विवेक का खूब साथ दिया। इसके बाद अकेडमी में आकर विवेक का खेल और निखरने लगा।

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