रिजर्व बैंक ने 7.2% पर बरकरार रखी जीडीपी विकास दर, जानें महंगाई से राहत मिलेगी या नहीं
नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसलों का गुरुवार को ऐलान किया। आरबीआई ने इसके साथ ही देश की इकोनॉमी पर भी कई अहम जानकारी दी। आरबीआई ने सामान्य मानसून के पूर्वानुमान के बीच चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा है। रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई दर के अनुमान को भी 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और भू-आर्थिक विखंडन के कारण नकारात्मक जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
मानसून में तेजी से महंगाई में कुछ राहत की उम्मीद
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। गवर्नर ने महंगाई पर कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी से खाद्य महंगाई में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। बुवाई में अच्छी प्रगति हुई है और अनाज का भंडार (बफर स्टॉक) अपने स्टैंडर्ड से ज्यादा बना हुआ है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वैश्विक खाद्य कीमतों में मार्च, 2024 से बढ़ोतरी दर्ज करने के बाद जुलाई में कमी के संकेत मिले हैं।
चालू वित्त वर्ष में 4.5 प्रतिशत महंगाई दर का अनुमान
गवर्नर ने कहा कि सामान्य मानसून के पूर्वानुमान और पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत महंगाई को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। ये दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत रहेगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अपेक्षा से ज्यादा रहने के कारण जून, 2024 में मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘ बैंकों और कॉरपोरेट का स्वस्थ बही-खाता, सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय पर जोर तथा निजी निवेश में तेजी के स्पष्ट संकेत निश्चित निवेश को बढ़ावा देंगे। वैश्विक व्यापार की संभावनाओं में सुधार से बाहरी मांग में मदद मिलने की उम्मीद है।’’
दास ने कहा कि हालांकि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता तथा भू-आर्थिक विखंडन के कारण नकारात्मक जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत (दोनों ओर घट-बढ़ के साथ) रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी से खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। बुवाई में अच्छी प्रगति हुई है और अनाज का भंडार (बफर स्टॉक) मानक से अधिक बना हुआ है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वैश्विक खाद्य कीमतों में मार्च, 2024 से वृद्धि दर्ज करने के बाद जुलाई में कमी के संकेत मिले हैं।
गवर्नर दास ने कहा कि सामान्य मानसून के पूर्वानुमान और पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए…वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह दूसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही में 4.3 प्रतिशत रहेगी।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.4 प्रतिशत (दोनों ओर घट-बढ़ के साथ) रहने का अनुमान है। दास ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अपेक्षा से अधिक रहने के कारण जून, 2024 में मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई।
उन्होंने कहा कि ईंधन की महंगाई लगातार दसवें महीने कम हुई और मई तथा जून में कुल मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई। खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों का सिलसिला जुलाई में भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि, अनुकूल आधार प्रभाव से माह के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि दूध की कीमतों और मोबाइल शुल्क में संशोधन के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है।
दास ने कहा, ‘‘ हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ती रहे, साथ ही वृद्धि को भी समर्थन मिले। यह दृष्टिकोण सतत उच्च वृद्धि के लिए सकारात्मक होगा।’’
ऐतिहासिक निचले स्तर पर आई कुल मुद्रास्फीति
उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन की महंगाई लगातार 10वें महीने कम हुई और मई-जून में कुल मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई। खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों का सिलसिला जुलाई में भी जारी रहने की संभावना है। हालांकि, अनुकूल आधार प्रभाव से महीने के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति में गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि दूध की कीमतों और मोबाइल टैरिफ में संशोधन के प्रभाव पर नजर रखने की जरूरत है।