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उच्च शिक्षा में डिजिटल क्रांति समय की मांग : यादव

पटना।
मौलाना मज़हरुल हक अरबी और फ़ारसी विश्वविद्यालय, पटना के सेमिनार हॉल में आज "उच्च शिक्षा में डिजिटल गवर्नेंस के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा" विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें  बतौर मुख्य अतिथि श्री बैद्यनाथ यादव (आईएएस), सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, बतौर विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर (डॉ) रेखा कुमारी, निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग,  प्रोफेसर (डॉ) मोहम्मद आलमगीर, कुलपति, मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय, कर्नल कामेश कुमार, कुलसचिव व बिहार के सभी विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए।
मुख्य अतिथि  बैद्यनाथ यादव ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए अनिवार्य है कि घर बैठे छात्र  अपने किसी भी सर्टिफिकेट को डिजिलॉकर के माध्यम से हासिल कर सके। उन्होंने एक एक कर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों से आए प्रतिनिधियों से इस दिशा में हुई प्रगति की रिपोर्ट भी ली।
विशिष्ट अतिथि डॉ रेखा कुमारी ने कहा कि हर विश्वविद्यालय को डिजिटल होने में आने वाली किसी भी दिक्कत के लिए शिक्षा विभाग सदैव तत्पर है और आने वाले कुछ महीनों में ही ये काम पूरा होने की उम्मीद है। प्रोफेसर (डॉ) मोहम्मद आलमगीर, कुलपति, मौलाना मजहरुल हक विश्वविद्यालय ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय में आयोग से नए नियुक्त हुए युवा शिक्षकों की अगुवाई में डिजिटल मुहिम ज़ोरों पर है।
यूजीसी, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार और उच्च शिक्षा निदेशालय, शिक्षा विभाग और बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद (बीएसएचईसी), बिहार सरकार के तत्वावधान में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत सभी अकादमिक संस्थानों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करने की प्रगति पर समीक्षा हुई और इस दिशा में आने वाली चुनौतियों पर भी मंथन किया गया।
मंच पर बिहार राज्य उच्च शिक्षा काउंसिल के अकादमिक सलाहकार प्रो (डॉ) एन के अग्रवाल, राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपोजिटरी के प्रबंधक प्रकाश कुमार पांडेय भी उपस्थित रहे और पूरी कार्यशाला में सवालों के जवाब देते रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. जावेद अख़्तर, सहायक प्राध्यापक, मौलाना मजहरुल हक यूनिवर्सिटी ने किया। सामाजिक कार्यकर्ता रचना प्रियदर्शिनी ने बताया कि इस कार्यक्रम में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि, एम्स, एनआईटी, आईआईटी तथा अन्य निजी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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