मंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया कि देश में नौकरियों की कोई कमी नहीं, योग्यता होगी तो नौकरी मिलेगी
नई दिल्ली
भारत में बेरोजगारी की समस्या वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है। इस साल मार्च में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में बेरोजगारों में 80% हिस्सा युवाओं का है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी रोजगार एक प्रमुख मुद्दा रहा, लेकिन इन आंकड़ों के बावजूद केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में दावा किया है कि देश में नौकरियों की कोई कमी नहीं है ।मांसुख मांडविया ने सोमवार को लोकसभा में एक बयान दिया जिसमें उन्होंने ‘नेशनल करियर सर्विस पोर्टल’ पर उपलब्ध 19 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का हवाला दिया। उनके अनुसार, इस पोर्टल पर नियोक्ताओं ने 19 लाख से अधिक नौकरियों के अवसर पोस्ट किए हैं जिन पर लोग आवेदन कर सकते हैं।
बेरोजगारी की समस्या कोई गंभीर संकट नहीं
मांडविया ने यह भी कहा कि बेरोजगारी की समस्या के कोई गंभीर संकट नहीं हैं और देश में नौकरी की कमी नहीं है। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान, टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए, मांडविया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि वर्तमान बेरोजगारी दर घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है और भविष्य में इसे तीन प्रतिशत से भी नीचे लाने की संभावना है।
आज के समय में बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत है
मांडविया ने विस्तार से बताया कि जब एक देश की अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़ती है, तो यह तब संभव होता है जब विनिर्माण क्षेत्र, सेवा क्षेत्र और क्रय शक्ति में वृद्धि होती है। इन सभी विकासात्मक पहलुओं के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। उन्होंने कहा, "चिंता करने की कोई बात नहीं है।" मंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसी परिवार के सदस्य को नौकरी की आवश्यकता है और उनकी योग्यता उपयुक्त है, तो उन्हें नौकरी प्राप्त हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि पहले बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में रोजगार सृजन के प्रयासों के परिणामस्वरूप आज यह दर 3.2 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में बेरोजगारी दर तीन प्रतिशत से भी कम हो जाएगी।
वर्तमान स्थिति में नौकरियों की कोई कमी नहीं
बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जो भारत के आर्थिक परिदृश्य को चुनौती देता है, विशेषकर एक ऐसे देश में जहां कार्यबल बहुत विविध है और जनसंख्या विशाल है। बेरोजगारी दर में उतार-चढ़ाव देश की वृद्धि और विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। हालांकि, मांडविया का कहना है कि वर्तमान स्थिति में नौकरियों की कोई कमी नहीं है और रोजगार के अवसर निरंतर बढ़ रहे हैं।