राजनीति

आपातकाल में जेल में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को 50 हजार रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि की जदयू ने मांग की

नई दिल्ली
केन्द्र में बीजेपी के साथ सरकार में शामिल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने गुरुवार को सरकार से एक खास डिमांड की है। 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किये जाने के फैसले की सराहना करते हुए जदयू ने मांग की है कि आपातकाल में जेल में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को 50 हजार रुपये प्रतिमाह सम्मान राशि, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और मुफ्त चिकित्सा की सुविधा भी दी जाए। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व सांसद के सी त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक चिट्ठी लिख कर यह मांग की है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 12 जुलाई को एक आदेश जारी कर हर साल 25 जून को लगे आपातकाल के मौके पर ‘संविधान हत्या दिवस’ मानने की घोषणा की है। के सी त्यागी ने कहा है कि इस फैसले पर वह देशभर में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले योद्धाओं की ओर से पीएम मोदी का आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल में लोकनायक जय प्रकाश नारायण,  राज नारायण जी, मोरारजी देसाई, नानाजी देशमुख, चौ. चरण सिंह जी, अटल बिहारी बाजपेयी, जार्ज फर्नाडिस, चन्द्रशेखर जी, मधु लिमये जी, मुलायम सिंह यादव जी, राजमाता विजयराजे सिंधिया, मदनलाल खुराना जैसे बड़े नेता भी जेलों में बंद थे जिनके त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

के सी त्यागी ने आगे कहा, “हम आपका ध्यान इस ओर दिलाना चाहते है कि राजपत्र में दिवंगतों को श्रद्धांजलि का जिक्र किया गया है लेकिन जीवित आपातकाल लोकतंत्र सेनानी को न्याय देने के संबंध में किसी भी प्रकार का जिक्र नहीं है।” उन्होंने कहा कि NDA शासित 11 राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम और उत्तराखण्ड की सरकारों द्वारा आपातकाल अवधि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच संघर्ष करने वालों को सम्मान निधि दी जा रही है लेकिन दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत जैसे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, मिजोरम, दिल्ली आदि राज्यों के सेनानी को कोई सहायता नहीं मिल रही है। उनका संघर्ष और त्याग किसी से कम नहीं है।

आजादी की दूसरी लड़ाई है आपातकाल का संघर्ष- के सी त्यागी
जेडीयू प्रवक्ता ने आगे कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने के लिए देश पर आपातकाल थोपा था। विपक्ष को खत्म करने के लिए देशभर में नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, सामाजिक संगठन, छात्र संगठनों के लोगों को जेलो में बंद कर संविधान की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने इस लड़ाई को 'आजादी की दूसरी लड़ाई' कहा है। उन्होंने कहा, “इसलिए आपातकाल के योद्धाओं को 'लोकतंत्र सेनानी' घोषित कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तरह अलग कानून बना कर सम्मानित करना चाहिए। इस फैसले से युवा पीढी को लोकतंत्र की रक्षा करने तथा अलोकतांत्रिक शक्तियों से संघर्ष करने की प्रेरणा मिलेगी।

किन मांगो को रखा सामने?
के सी त्यागी ने अपनी मांगों को रखते हुए कहा कि आपातकाल में लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेलों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों को ताम्रपत्र दे कर सम्मानित किया जाये। इसके अलावा आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोकतंत्र सेनानियों की आर्थिक स्थिति खराब है। इसीलिए उन्हें 50 हजार रुपये प्रतिमाह की सम्मान निधि (पेंशन) भी दी जाये। उन्होंने मांग की कि आपातकाल में जेलों में बंद रहे लोगों के परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार उपलब्ध कराया जाये। आपातकाल में जेलों में बंद रहे सभी लोकतंत्र सेनानियों की उम्र 70 साल से ज्यादा है। इसीलिए सभी को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध हो सके। इसके लिए उन्हें आयुष्मान योजना में शामिल किया जाये।

 

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