देश

निर्मला के बजट से बीजेपी को मिलेगी धार, क्या वापस लौटेगा खोया जनाधार?

नई दिल्ली
 2024 के चुनावी रण में जिस तरह से बीजेपी बहुमत से दूर रह गई, उसका असर मोदी 3.0 बजट में स्पष्ट तौर पर नजर आया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को नई सरकार का पहला बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने युवाओं और महिलाओं को साधने को कोशिश की। यही नहीं रोजगार का मुद्दा 2024 लोकसभा चुनाव में प्रमुखता से उठाया गया। इस पर भी वित्त मंत्री ने अहम ऐलान किया। बजट का उद्देश्य रोजगार सृजन को बढ़ावा देना, निवेश को आकर्षित करना और समग्र आर्थिक विकास को रफ्तार देना माना जा रहा। इस बार के बजट में बुनियादी ढांचे, MSME और ग्रामीण विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर फोकस किया गया है। इस बजट के जरिए सरकार की कोशिश बीजेपी के खोए हुए जनाधार को वापस पाने की है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 और 2014 में बीजेपी को जबरदस्त बहुमत मिला था। उस समय बीजेपी की शानदार जीत में युवाओं और महिलाओं का रोल बेहद अहम रहा था। अब केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में उन पर ही खास फोकस बढ़ाया है।

बजट में रोजगार सृजन पर जोर

हालांकि, केंद्रीय बजट पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए। विपक्ष ने इसे देश का बजट मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि इस बार का बजट कुछ राज्यों पर ही केंद्रित रहा। हालांकि, निर्मला सीतारमण ने बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्होंने बताया कि उनके मन में क्या चल रहा था। इस बार के बजट में सरकार की सबसे प्रमुख प्राथमिकता रोजगार सृजन ही माना जा रहा। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि निजी क्षेत्र के रोजगार और नौकरी में इजाफे को लेकर सकारात्मक कदम बजट में उठाए गए हैं। इससे निजी कंपनियां ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरियां देने के लिए प्रोत्साहित होंगी। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि रोजगार सृजन के लिए बजट के इस अपरंपरागत दृष्टिकोण का परिणाम क्या निकलता है।

युवाओं पर खास फोकस

देश में युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा है। ऐसे में असंतुष्ट युवा किसी भी राजनीतिक दल के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। खासकर तब, जब उनमें से लाखों लोग कॉलेज की शिक्षा प्राप्त कर चुके हों। ऐसे में सीतारमण ने 2014 और 2019 में मिलने वाले वोटों को वापस पाने के लिए युवाओं की चिंताओं को सबसे पहले रखा। लेकिन अगर कंपनियां ज्यादा लोगों को नौकरी पर रखने के लिए सरकार के प्रोत्साहन पर पॉजिटिव रिएक्ट नहीं करेंगी तो क्या होगा? क्या सरकार का यह नर्म रवैया सख्त होगा? यह देखने वाली बात होगी।

बीजेपी के नए दांव से क्या होगा

बजट में MSME क्षेत्र के लिए भी एक स्पष्ट राजनीतिक योजना दिखाई देती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि MSME में अब एक फ्रेंडलियर क्रेडिट लोन की व्यवस्था से मदद मिल रही है। ये विश्वसनीय रोजगार सृजनकर्ता हैं। दूसरा, क्योंकि MSME प्रमोटरों में छोटे व्यवसायी शामिल हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे बीजेपी के प्रति सहानुभूति रखते हैं। किसी भी गठबंधन सरकार के बजट में सहयोगियों को साधना हमेशा से प्राथमिकता होती है। इस मामले में निर्मला सीतारमण की राजनीति कई अन्य गठबंधन सरकारों के वित्त मंत्रियों से बेहतर है।

नीतीश-नायडू को साधने की कवायद

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को सीधे कोई फंड देने के बजाय, इस बजट में विशिष्ट परियोजनाओं के लिए पूंजीगत व्यय आवंटित किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि सहयोगियों को मिलने वाली हेल्प बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़े फोकस के अनुरूप हो। यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि जो कुछ भी आवंटित किया गया है वह बेहतर तरीके से खर्च हो। बिहार में सड़कें, पुल और आंध्र प्रदेश में बड़ी सिंचाई परियोजनाएं राजनीतिक और आर्थिक दोनों तरह से फायदा पहुंचा सकती हैं। साथ ही, यह आर्थिक रूप से भी विवेकपूर्ण है।

महिलाओं पर विशेष जोर

महिला वोटर्स, जो हर चुनाव में बड़ी संख्या में वोटिंग करती रही हैं, एक और बड़ा राजनीतिक वर्ग है। बजट में महिलाओं और लड़कियों के लिए योजनाओं में 3 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इन्हें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लागू किए जाने की संभावना है। इन योजनाओं का लक्ष्य लाभार्थी और लखपति दीदी दोनों की सफलता को दोगुना करना है। 2024 के चुनावों से पता चला कि महिला वोट उन क्षेत्रों में एक काउंटर के रूप में कार्य कर सकता है जहाँ अन्य मतदाता समूह भाजपा से असंतुष्ट हैं। पूंजीगत टैक्स बेनिफिट का बोझ बढ़ने से निवेशक वर्ग बजट से बहुत खुश नहीं होगा। शहरी मध्यम वर्ग भी आयकर में मामूली बदलाव से प्रभावित होगा। लेकिन ये वोटिंग क्लास नहीं हैं। अभी, बीजेपी अपने खोए हुए वोटों को वापस पाना चाहती है – मूल रूप से, यही इस बजट की राजनीति है।

'पूर्वोदय' योजना पर खास फोकस

इस बजट में पूर्वी राज्यों के पास खुश होने के लिए कई कारण हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से एक नई योजना 'पूर्वोदय' जल्द ही बनाई जाएगी। इसमें मानव संसाधन विकास, बुनियादी ढांचा और आर्थिक अवसर पैदा करना शामिल होगा ताकि इस क्षेत्र को विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने वाला इंजन बनाया जा सके। 'पूर्वोदय' की अवधारणा को पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में एक बैठक के दौरान सार्वजनिक रूप से जिक्र किया था, जब उन्होंने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की एक रिफाइनरी को समर्पित किया था। उन्होंने कहा था कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए देश के पूर्वी हिस्सों का विकास करना होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पूर्वी भारत के लोग हमेशा से ही विकास के लिए तरसते रहे हैं जो उन्हें देश के बाकी हिस्सों के बराबर ला सके। यह योजना सुनिश्चित करेगी कि इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button