मध्यप्रदेश

नैनपुर छात्रावास की अधीक्षक के खिलाफ छात्राओं ने की शिकायत

नैनपुर छात्रावास की अधीक्षक के खिलाफ छात्राओं  ने की शिकायत

दुर्ववहार करना और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का लगाया आरोप

मंडला
 मंडला  जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले के छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक और सहायक अधीक्षक वर्षों से एक ही हॉस्टल में कार्यरत रहते हैं और विभाग द्वारा इनका वर्षों तक ट्रांसफर नहीं किया जाता जबकि नियम अनुसार एक अधीक्षक एक छात्रावास में 3 वर्ष से अधिक नहीं रह सकते।

जिला प्रशासन की इस लापरवाही का परिणाम यह निकला है कि छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक खुद को सुप्रीम समझने लगे हैं और वहां रहने वाले छात्रों और छात्राओं के साथ बतसालूकी पर उतारू हो चुके हैं।

ऐसा ही एक मामला वर्तमान में नैनपुर छात्रावास से सामने आया जब नैनपुर के प्रो मेट्रिक कन्या आदिवासी छात्रावास की छात्राऐ अपनी ही अधीक्षिका की शिकायत लेकर कलेक्टर और सहायक आयुक्त के कार्यालय पहुंची। इनकी शिकायत यह थी कि छात्रावास की अधीक्षिका प्रतिभा कुशराम द्वारा इनके साथ हमेशा दुर्व्यवहार किया जाता है और उन्हें पूर्ण रूप से पोषण आहार न देना  और गाली-गलौज देने का भी छात्राओं द्वारा आरोप लगाया गया। छात्राओ ने बताया कि कोई भी छात्रा अगर उनके खिलाफ कोई भी शिकायत परिवार के लोगों से करती थी तो अधीक्षिका द्वारा उन्हें गाली दी जाती थी और और छात्रावास से निकलवाने की धमकी दी जाती है । छात्राओं ने यह भी बताया कि इसके पूर्व भी वह कई बार संबंधित अधिकारियों से अधीक्षिका की शिकायत कर चुकी है पर किसी भी अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई इनपर नहीं की गई। साथ ही साथ छात्राओं और उनके साथ आये परिजनों ने यह बताया कि अधीक्षिका के इस बर्ताव के कारण छात्रावास में रह रही छात्राओं को अत्यधिक मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है।

आपको बता दें की नियमअनुसार कोई भी छात्रावास में अधीक्षक सिर्फ तीन वर्ष तक पदस्थ रहता है इसके बाद उनका ट्रांसफर होना जरूरी रहता है पर जिले में ऐसे कई अधीक्षक है जो पिछले कई सालों से एक ही छात्रावास पर अडिग है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ समय पूर्व इनका ट्रांसफर किसी  अन्य स्कूल में हो गया था किंतु सेटिंग करके पुनः अधीक्षिका बन गई।  छात्रावास में क्यों कर दिया गया या इनका ट्रांसफर क्यों रोक दिया गया यह सोचने की बात है। नगर प्रशासन के इसी बेपरवाह बर्ताव के चलते आज जिन्हें हमने आदिवासी छात्राओं की शिक्षा की रक्षा करने को रखा है वही उनकी शिक्षा के  भक्षक बनते जा रहे हैं।

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