सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहली मलेरिया की वैक्सीन बनाई, WHO से मिली मान्यता
नई दिल्ली
भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से मलेरिया की पहली वैक्सीन बनाई गई है। इसका इस्तेमाल करने वाला आइवरी कोस्ट पहला देश बन गया है। यहां R21 वैक्सीन की 656,600 खुराकें भेजी गई हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से बनाई गई मलेरिया की वैक्सीन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से मान्यता मिलने के बाद इसे अफ्रीका भेजा जा रहा। यह दुनिया की दूसरी मलेरिया वैक्सीन है।
ऑक्सफोर्ड और SII का मलेरिया टीका अब अफ्रीका में
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और SII की ओर से यह वैक्सीन बनी है, जिसे R21 कहा जाता है। पश्चिम अफ्रीकी देश की व्यावसायिक राजधानी आबिदजान में ये वैक्सीन बच्चों को दी जाएगी। इसकी शुरुआत जल्द होने वाली है। वैक्सीन बनाने वालों और उनके सहयोगियों ने एक बयान में इस बात की जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि इस नई वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया, बुर्किना फासो और मध्य अफ्रीकी गणराज्य ने मंजूरी दे दी है। कई अन्य देश भी इसे हासिल करने की तैयारी कर रहे हैं।
आइवरी कोस्ट को 6 लाख 56 हजार से ज्यादा खुराकें
आइवरी कोस्ट को अभी तक इस टीके की 656,600 खुराकें प्राप्त हुई हैं। इनसे शुरुआत में आइवरी कोस्ट के 16 क्षेत्रों में नवजात शिशुओं से लेकर 23 महीने तक के 250,000 बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2023 में अफ्रीका में पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की थी। अफ्रीका में इस बीमारी से हर साल 600,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
आइवरी कोस्ट के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अकेले आइवरी कोस्ट में हर दिन चार लोगों की मौत इस बीमारी से होती है। मलेरिया दुनिया की उन बीमारियों में से एक है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। दुनिया के 95 फीसदी मलेरिया के मामले और 96 फीसदी मौतें अफ्रीका में होती हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें अफ्रीका महाद्वीप के गरीब देशों में होती हैं। इसके लिए कोई असरदार व्यावसायिक बाजार नहीं होने के कारण वैक्सीन के विकास को लेकर बहुत कम प्रेरणा मिली है। नई वैक्सीन को घाना, नाइजीरिया, बुर्किना फासो और मध्य अफ्रीकी गणराज्य ने अधिकृत कर दिया है, और कई अन्य लोग शिपमेंट प्राप्त करने की तैयारी कर रहे हैं।