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मुंबई में पहली बारिश में ही खुली BMC के तैयारियों की पोल, जगह-जगह जलजमाव

 मुंबई

मुंबई में बारिश ने आफत मचाई हुई है. जलभराव की वजह से लोकल ट्रेनें तो कैंसल हुई हीं, कई विमान सेवाओं  भी एडवायजरी जारी कर दी है. इस बीच मौसम विभाग चेता रहा है कि शहर को फिलहाल इससे राहत मिलने वाली नहीं. लेकिन क्या वजह है जो देश की आर्थिक राजधानी कहलाता मुंबई हर बारिश पानी में डूब जाता है, वो भी कुछ घंटों की बारिश में? इसके पीछे अतिक्रमण या शहर की बसाहट कम, बल्कि कुदरती स्ट्रक्चर ज्यादा जिम्मेदार है.

दो दशक पहले हुआ था बड़ा नुकसान

जुलाई 20025 में मुंबई में तेज बारिश से सबसे बड़ा नुकसान हुआ. 26 जुलाई को चौबीस घंटों के भीतर 9 सौ मिलीमीटर से ज्यादा पानी बरसा. ये वहां पूरी जुलाई की बारिश जितना था. इससे शहर के रास्ते बंद हो गए. बसें, ट्रेनों से लेकर हवाई जहाज थम गए. इस दौरान पानी में फंसने या डूबने से 1094 जानें चली गईं, जबकि लगभग साढ़े 5 सौ करोड़ का नुकसान हुआ.

उस मानसून ने शहर की ताकत एक झटके में खींच ली. इसके बाद से लगातार प्लानिंग हो रही है. यहां तक कि महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन ने जापानी कंपनी द जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के साथ मिलकर अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट पर काम की बात की. इसमें नदियों से जोड़कर ऐसा सिस्टम बनाया जाएगा कि ओवरफ्लो होने पर पानी दूसरी जगह जमा हो जाए और बाद में काम आ सके.

क्यों होती रही नदियों पर बात

ये शहर केवल अरब सागर से ही घिरा हुआ नहीं, बल्कि यहां चार-चार नदियां भी हैं- मीठी, दहिसर, ओशिवारा और पोयसर. नदियों के अलावा यहां चार क्रीक हैं. ये सब मिलकर लगभग 21 मिलियन की आबादी वाले शहर को मानसून के मौसम में काफी खतरनाक बना देते हैं. मसलन, मीठी नदी की बात करें तो पूरे मुंबई को घेरती इस नदी की ज्यादातर जगहों पर चौड़ाई केवल 10 मीटर है. ऐसे में थोड़ी बारिश में ही पानी ओवरफ्लो का खतरा रहता है. आसपास घनी बसाहट है, जिसपर तुरंत इसका असर होगा.

मुंबई की टोपोग्राफी भी अलग

समंदर किनारे बसा ये शहर कई जगहों पर काफी नीचे बसा हुआ है, जबकि कई जगहें काफी ऊंचाई पर हैं. बता दें कि मुंबई सात द्वीपों के मिलने से बना हुआ है, ऐसे में उसका आकार देश के ज्यादातर शहरों से काफी अलग, कुछ-कुछ तलेदार प्लेट की तरह है. बारिश शुरू होते ही पानी अपने-आप नीचे की तरफ आकर जमा होने लगता है. ऐसे कुछ इलाके हैं- सायन, अंधेरी सबवे, मिलान सबवे और खार. ये हिस्से कुछ घंटों के पानी से भी डूबने लगते हैं.

पानी के निकासी की अलग है व्यवस्था

शहर का ड्रेनेज सिस्टम इस तरह का है कि पानी समंदर में खाली होता जाए. लेकिन भारी बारिश के दौरान, जब समुद्र का स्तर बढ़ता है, ड्रेन्स के गेट बंद कर दिए जाते हैं ताकि पानी वापस शहर में लौटकर तबाही न मचा दे. भारी बारिश के दौरान ऊंची लहरें बचेखुचे ड्रेनेज सिस्टम को भी रोक देती हैं. इस सिस्टम के दोबारा काम पर लौटने में पानी घटने के बाद लगभग 6 घंटे लग जाते हैं. इस दौरान पानी भरा ही रहता है.

भारत समेत दुनिया के ज्यादातर शहरों में बारिश होने पर आधे से ज्यादा पानी जमीन में समा जाता है. वहीं मुंबई में लगभग 90 प्रतिशत पानी ड्रेन्स के जरिए निकलता है. इससे भी ड्रेनेज पर काफी बोझ रहता है.

एक वजह अतिक्रमण भी

आर्थिक राजधानी होने की वजह से यहां देश के कोने-कोने से लोग आते रहते हैं. इतने लोगों के रहने के लिए वैसी प्लानिंग नहीं. बड़ी आबादी निचले हिस्सों में बसी हुई है, जो पानी के लिए संवेदनशील हैं. यहां पर पानी के बाहर निकलने या जमीन में जाने की वैसी व्यवस्था नहीं. यही वजह है हल्की बारिश में भी कई इलाकों में पानी भर जाता है.

कैसे मिल सकता है छुटकारा

पिछले कुछ समय से मुंबई में जापान की मदद से अंडरग्राउंड डिस्चार्ज चैनल की बात हो रही है. ये प्रोजेक्ट जापान ने अपने शहर टोक्यो में भी तैयार किया. असल में टोक्यो में साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा आबादी हमेशा बाढ़ के खतरे में जीती आई. जापान के मौसम विभाग की मानें तो ये शहर समुद्र तल से नीचे जा चुका है. अपने लोगों और इंफ्रा को बचाने के लिए जापान ने अंडरग्राउंड चैनल बनाया. बाढ़ का पानी या अतिरिक्त पानी इस चैनल में गिरता है, जहां से पंप के जरिए उसे वहां की ईडो नदी में छोड़ा जाता है.

मुंबई को स्पंज सिटी की तरह डेवलप करने की भी बात हो रही है. स्पंज सिटी वो कंसेप्ट है, जिसमें शहर स्पंज की तरह काम करे यानी पानी डलते ही अंदर सूख जाए. इसके तहत शहर को ऐसे डिजाइन किया जाएगा कि पानी तुरंत ही जमीन में चला जाए और ड्रेनेज पर भार न पड़े. इसमें ग्रीन स्पेस बढ़ाया जाएगा.

 

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