मध्यप्रदेश

भाजपा ने क्यों दिलाई कांग्रेस विधायक रावत को ही मंत्री पद की शपथ

भोपाल

मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव कैबिनेट का सोमवार को लंबे इंतजार के बाद विस्तार हो ही गया। कांग्रेस से भाजपा में आए श्योपुर की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक रामनिवास रावत ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा में आए रावत अब भी कांग्रेस विधायक हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आखिर एक कांग्रेस विधायक को मंत्री क्यों बनाया?  

राजभवन में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने रावत को दो बार मंत्री पद की शपथ दिलाई। मुख्य कार्यक्रम में रावत पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते समय राज्य के मंत्री की जगह राज्यमंत्री पढ़ गए। इसके 15 मिनट बाद राज्यपाल ने रावत को कैबिनेट मंत्री के रूप में दोबारा शपथ दिलाई।  फिलहाल मोहन सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के विभाग में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। रावत ने लोकसभा चुनाव के बीच में भाजपा की सदस्यता ले ली थी। उमंग सिंघार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने के फैसले से छह बार के विधायक रावत नाराज थे।

भाजपा ने दिया बड़ा संदेश
रामनिवास रावत को मंत्री बनाने और कार्यसमिति की बैठक में सुरेश पचौरी को मंच पर स्थान देकर भाजपा ने बड़ा संदेश दिया है। कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेताओं को भरोसा दिलाया कि सभी को सम्मान मिलेगा। लोकसभा चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेसियों ने भाजपा की सदस्यता ली थी। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दावा है कि चार लाख से अधिक कांग्रेस एवं अन्य दलों के कार्यकर्ता भाजपा में आए हैं। इनमें विधायक, पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य के पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक के साथ ही मौजूदा महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी शामिल हैं।

मुरैना लोकसभा सीट पर जीत का इनाम
लोकसभा चुनावों में मुरैना सीट जातिगत फेक्टर के चलते फंस गई थी। 2019 के चुनाव में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीते थे। यहां से शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस ने नीटू सिकरवार को प्रत्याशी बनाया था। रावत का विजयपुर विधानासभा क्षेत्र मुरैना लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। इस सीट को फंसा देख भाजपा ने बड़ा दांव चला। ओबीसी वोटरों को साधने की रणनीति बनाई। सिकरवार और शिवमंगल एक ही जाति से होने की वजह से वोट बंट रहे थे। रावत से संपर्क किया गया। वह शर्तों के साथ भाजपा में शामिल होने को तैयार हो गए। रावत के भाजपा में शामिल होने से कड़ी टक्कर के बीच भाजपा मुरैना सीट जीतने में सफल रही।

मंत्री बनने के बाद इस्तीफा
रामनिवास रावत ने भाजपा की सदस्यता के बाद भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया था। वह भाजपा की तरफ से उनसे किए वादे को पूरा करने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने सोमवार को मंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपने पद से इस्तीफा दिया। अब विजयपुर विधानसभा सीट पर छह माह के अंदर चुनाव होगे। इसके साथ ही बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने भी भाजपा में शामिल होने के बाद अभी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। चर्चा है कि वह भी जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकती है।

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