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7 करोड़ की रिश्वत का आरोप, समझें क्यों सत्येंद्र जैन के खिलाफ खुल गई एक और फाइल

 नई दिल्ली
जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता सत्येन्द्र जैन के लिए एक और परेशानी खड़ी हो गई है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक और मामले की जांच की सिफारिश की गई है। पिछले साल जनवरी में एसीबी ने जैन के खिलाफ जांच शुरू की थी। मई 2022 में ईडी ने आय से अधिक संपत्ति के एक अलग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। अभी वह तिहाड़ जेल में बंद है।

मीडिया के मुताबिक, लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने पूर्व मंत्री के खिलाफ 7 करोड़ रिश्वत लेने के आरोप में जांच की अनुमति दे दी। उपराज्यपाल ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जांच की मंजूरी के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 की धारा 17 ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजने के सतर्कता विभाग के प्रस्ताव पर सहमति दे दी। ।

उप राज्यपाल की सहमति पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली की मंत्री और आप नेता आतिशी ने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को एक और फर्जी मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। आतिशी ने कहा कि भाजपा दिन-रात दिल्ली सरकार के खिलाफ साजिश में लगी हुई है। 10 साल में आप नेताओं पर 200 से ज्यादा केस दर्ज किए गए, लेकिन आज तक भ्रष्टाचार का एक भी रुपया कहीं से बरामद नहीं हुआ। भाजपा दिल्ली सरकार को पंगु बनाना चाहती है।

क्या है 7 करोड़ रिश्वत मामला
आरोप है कि जब सत्येंद्र जैन मंत्री थे तो भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अधिकारियों ने उन्हें रिश्वत दी थी। दरअसल, बीईएल 2018-2019 में राष्ट्रीय राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगा रही थी, जो 571 करोड़ रुपये की परियोजना थी। एसीबी ने बीईएल के पूर्व कर्मचारी मनमोहन पांडे की शिकायत पर जांच शुरू की थी। एसीबी के अधिकारियों के अनुसार पांडे ने उन्हें सितंबर 2019 में बताया कि सीसीटीवी परियोजना के प्रभारी ने कहा था कि जैन ने 7 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। हालांकि बीईएल ने पांडो पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया, क्योंकि उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।

 

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