पाकिस्तान अक्टूबर में होने वाली SCO मीटिंग की मेजबानी करेगा, भारत समेत सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करेगा
इस्लामाबाद
पाकिस्तान का कहना है कि अक्टूबर में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग की वह मेजबानी करेगा और इसमें भारत समेत सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित करेगा। ऐसे में यह बड़ा सवाल होगा कि भारत की ओर से किसे भेजा जाता है। बीते करीब एक दशक से दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य नहीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ अच्छे रिश्तों की पहल की थी। उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था और फिर एक बार अचानक पाकिस्तान भी गए थे। यह मौका नवाज शरीफ के जन्मदिन का था। 2015 में उनका यह दौरा अहम था क्योंकि 10 साल बाद कोई भारतीय पीएम पाकिस्तान पहुंचा था।
फिर इसके बाद पठानकोट, उड़ी जैसे आतंकी हमले हुए और भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऐक्शन लिए। दोनों देशों के बाद तब से ही रिश्ते खराब हैं और अब करीब 9 साल बीत चुके हैं। इस दौरान किसी भी भारतीय मंत्री या पीएम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है। हालांकि बीते साल बिलावल भुट्टो जरदारी जरूर गोवा आए थे, जब एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग बुलाई गई थी। ऐसे में अब भारत की ओर से कौन इस मीटिंग में प्रतिनिधित्व करता है, इस पर सभी की नजरें होंगी।
पाक के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की अध्यक्षता के रूप में पाकिस्तान इस वर्ष अक्टूबर में एससीओ शासनाध्यक्ष बैठक की मेजबानी करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण देगा। बलोच ने कहा, ‘इसकी अध्यक्षता पाकिस्तान के पास है, इसलिए अध्यक्ष के रूप में हम एससीओ सदस्य देशों के सभी शासनाध्यक्षों को निमंत्रण भेजेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर में आयोजित होने वाली शासनाध्यक्षों की बैठक में एससीओ के सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व होगा।’
उन्होंने कहा कि अक्टूबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिस्तरीय बैठक और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें होंगी। जिनमें एससीओ सदस्य देशों के बीच वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। बलोच ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा क्योंकि वह सभी देशों के साथ अच्छे संबंध रखने में विश्वास रखता है।