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भारत की यूरोपीय संघ पर पहली तिमाही में निर्भरता 1 फीसदी बढ़ी, सऊदी अरब पर 0.5 फीसदी कम आई

नई दिल्ली
चीन से आयात कम करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं लेकिन इसका कुछ खास परिणाम देखने को नहीं मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास (UNCTAD) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 की पहली तिमाही में भारत की चीन और यूरोपीय संघ पर व्यापार निर्भरता बढ़ गई है। दूसरी ओर सऊदी अरब पर हमारी निर्भरता कम हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस तिमाही में भारत की यूरोपीय संघ और चीन पर व्यापार निर्भरता क्रमशः 1% और 1.2% बढ़ी, जबकि सऊदी अरब पर निर्भरता 0.5% घटी। UNCTAD ने अपने ग्लोबल ट्रेड अपडेट में कहा कि वैश्विक व्यापार रुझान सकारात्मक हो गया है। यह ग्रोथ चीन, भारत और अमेरिका से निर्यात में बढ़ोतरी से प्रेरित है लेकिन यूरोप और अफ्रीका ने निराश किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 की पहली तिमाही में ग्लोबल ट्रेड में ग्रोथ मुख्य रूप से चीन (9%), भारत (7%) और अमेरिका (3%) से निर्यात में बढ़ोतरी के कारण हुई। इसके विपरीत, यूरोप के निर्यात में कोई वृद्धि नहीं हुई तथा अफ्रीका के निर्यात में 5% की कमी आई। निर्यात के मोर्चे पर चीन और भारत ने तिमाही-दर-तिमाही बहुत मजबूत प्रदर्शन किया है। साल 2024 की पहली तिमाही के दौरान विकासशील देशों और दक्षिण-दक्षिण व्यापार में व्यापार वृद्धि विकसित देशों की तुलना में तेज रही। यूएनसीटीएडी ने कहा, 'वर्तमान वैश्विक व्यापार रुझान सकारात्मक हो गए हैं, 2024 की पहली तिमाही में वस्तुओं का व्यापार तिमाही दर तिमाही लगभग 1% बढ़ा है। सेवा व्यापार लगभग 1.5% तिमाही दर से बढ़ा है।

कहां तक पहुंचेगा ग्लोबल ट्रेड

विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार वृद्धि अलग-अलग रही। हरित ऊर्जा और एआई-संबंधित उत्पादों में अधिक वृद्धि देखी गई। यूएनसीटीएडी नाउकास्ट ने 2024 की दूसरी तिमाही के लिए एक मजबूत सकारात्मक रुझान की भविष्यवाणी की है। साल 2024 की पहली छमाही के लिए लगभग 2% की वृद्धि का अनुमान है। इस ग्रोथ से 2023 की दूसरी छमाही की तुलना में 2024 की पहली छमाही में गुड्स ट्रेड में लगभग 250 अरब डॉलर और सर्विस ट्रेड में लगभग 100 अरब डॉलर जुड़ने की उम्मीद है। यदि सकारात्मक रुझान जारी रहता है, तो 2024 में ग्लोबल ट्रेड लगभग 32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। हालांकि इसके 2022 के अपने रिकॉर्ड स्तर को पार करने की संभावना नहीं है।

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