कर्नाटक में शौरमा खाने के बाद बीमार हुए थे कई लोग, मिलावटी खाना बेचने वालों पर बड़ी कार्रवाई
कर्नाटक
कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर के लोगों से शिकायतें मिलने के बाद खराब शौरमा बेचने वाले होटलों पर कार्रवाई शुरू की है। लोगों ने इस डिश को खाने के बाद बीमार होने की सूचना दी थी। यह कार्रवाई विभाग द्वारा हाल ही में खाने में कृत्रिम रंगों पर प्रतिबंध लगाने के बाद की गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने 10 जिलों से शौरमा के सैंपल इकट्ठा किए, जिनमें ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP), बेंगलुरु शहरी जिला, तुमकुरु, मैसूरु, हुबली, मंगलुरु और बल्लारी के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र शामिल हैं। इनका निरीक्षण करने से पता चला कि 17 में से केवल 9 नमूने ही खाने के लिए सुरक्षित थे। बाकी सैंपल में बैक्टीरिया और खमीर के अंश पाए गए, जो संभवतः गंदगी में खाना बनाने या होटलों में मांस को बहुत ज्यादा समय तक रखे जाने के कारण हुआ था।
स्वास्थ्य विभाग के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, "लैब रिपोर्ट के आधार पर, हमने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद, मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के तहत उन होटलों और रेस्तराओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जहां अस्वच्छ परिस्थितियों में शौरमा तैयार किया गया था।" सरकार ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा लाइसेंस प्राप्त भोजनालयों से ही शौरमा खरीदें। इसके अतिरिक्त, सभी भोजनालयों को प्रतिदिन ताजे मांस से शौरमा तैयार करने, अपने आउटलेट को FSSAI अधिनियम के तहत पंजीकृत करने और लाइसेंस प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है। सरकार ने इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने वाले भोजनालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
24 जून को, राज्य सरकार ने पूरे राज्य में चिकन कबाब और मछली से तैयार होने वाले खाने में कृत्रिम रंगों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह फैसला क्वालिटी इंस्पेक्शन के बाद लिया गया, जिसमें पता चला कि कृत्रिम रंगों से इन खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें कम से कम सात साल से लेकर संभावित आजीवन कारावास तक की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना शामिल है। इसके अलावा, उल्लंघन करने वालों के फ़ूड आउटलेट का लाइसेंस रद्द होने का भी खतरा है।