अपनी बात

विश्व कप की जीत और जिंदगी

दक्षिण अफ्रीका की पारी का सत्रहवाँ ओवर याद करिए! चौबीस गेंद में केवल छब्बीस रन बनाने थे और उनके पास थे छह विकेट। क्रीच पर जो बल्लेबाज थे वे धुंआधार खेल रहे थे। क्या उस अफ्रीका के समर्थकों को जीत स्पष्ट नहीं दिख रही होगी? क्या उस समय हमको आपको हार नहीं दिखने लगी थी?
मैंने देखा, मेरे ही असंख्य मित्रों ने फेसबुक पर भारत की हार घोषित कर दी और अपनी भड़ांस निकालने लगे थे। यह स्वभाविक था। सबको ऐसा ही लगने लगा था। मैं भी मन ही मन स्पीनर्स को गाली देने लगा था। बस एक हल्की सी उम्मीद थी कि कुछ हो जाय तो मजा आ जाय… वही विशुद्ध भारतीय भाव! जै हनुमान जी, दिखाइए न अपनी लीला… वाला टिपिकल देहाती भाव…
ठीक उसी समय अफ्रीका का एक विकेट गिरा और जैसे हार के जबड़े से छूट कर जीत निकल आई। बुमरा और पांड्या अपनी लय में लौट आये, सूर्य कुमार सौ सालों तक याद रखा जाने वाला कैच लोक लिए, और झटके में रङ्ग बदल गया।
जिन्दगी ठीक ऐसे ही रङ्ग बदलती है दोस्त! बस भरोसा रखना होता है। अपने कर्म पर भरोसा रखने से बल मिलता है तो कर्म पर रखिये, यदि ईश्वर पर भरोसा रखने से बल मिले तो देवी देवता को गोहराइये, पर भरोसा रखिये कि दिन पलटेंगे… ईश्वर हर रोहित शर्मा को कभी न कभी यह सोलहवाँ ओवर जरूर देता है। हर सूर्य कुमार यादव के पास कभी न कभी वह गेंद जरूर आती है जिसे लपक कर वह इतिहास बना देता है।
अब तनिक साउथ अफ्रीका की सोच लीजिये। क्या खूब खेले थे वे… एक बार तो उनके विरोधियों को भी उनकी जीत स्पष्ट दिखने लगी थी। पर यही सोलहवाँ ओवर उन्हें लूट ले गया। तो भाई साहब! कभी कभी जीवन में यह सोलहवाँ ओवर सब कुछ लूट ले जाने के लिए भी आता है। सब दिन हरियाली ही थोड़ी रहती है। बात बस यह है कि यह सब आता जाता रहता है। हार जीत होती रहती है और जिन्दगी चलती रहती है।
पिछले साल जब विश्वकप फाइनल में इंडिया हारी तो प्रसिद्ध कवि स्वयं श्रीवास्तव ने अपने पेज अपनी एक कविता की पंक्ति लिखी- हम इसी दरबार में लौटेंगे और राजा बनेंगे। बस छह सात महीने ही तो हुए हैं दोस्त! स्वयं का गीत और उनका भरोसा, दोनों जीत गए।
तो कुल मिला कर बात यह कि जिन्दगी पर भरोसा रखिये। पूरे टूर्नामेंट में फेल रहने वाला कोहली भी फाइनल में मैन ऑफ द मैच बन सकता है। समय आपको जिसदिन चाहेगा, हीरो बना देगा।
रोहित विराट और द्रविड़ की इससे बेहतर विदाई नहीं हो सकती थी। और जिस शानदार तरीके से नए लड़कों को राजपाट सौंप कर वे स्वयं किनारे हो गए हैं, वह उन्हें और बड़ा बनाता है। आओ लड़कों, उठाओ देश का झंडा और लिखो नया इतिहास, हम अपने हिस्से की खेल चुके… यही है असली खिलाड़ी वाला भाव।
– राजेश शर्मा (धामी)

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