धर्म/ज्योतिष

कलियुग के 10,000 वर्षों के बाद क्या होगा? ब्रह्मवैवर्त पुराण की भविष्यवाणियां

कलियुग को लेकर पुराणों में काफी वर्णन किया गया है। बाकी युगों की तुलना में कलियुग की आयु सबसे कम होगी। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि जब कलयुग के 10 हजार वर्ष बीत जाएंगे तो बहुत ही विचित्र तरह की घटनाएं घटेंगी। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कलयुग को लेकर जिस तरह की भविष्यवाणियां की गई हैं उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, कलियुग को लगभग 5 हजार वर्ष बीत चुके हैं। जैसे जैसे कलियुग आगे बढ़ेगा और 10 हजार वर्ष बीत जाएंगे। संसार में जिस तरह की घटनाएं घटेंगे वह आपको स्तंभ कर सकती हैं। आइए जानते हैं कलियुग के 10 हजार वर्ष बाद क्या होने वाला है।

कलियुग में विलुप्त हो जाएंगे गंगा, सरस्वती और तुलसी

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कलियुग को लेकर बहुत ही चौकाने वाली बाते बताई गई हैं। पुराण में बताया गया है कि जब कलियुग के 5 हजार वर्ष बीत जाएंगे। तो सबसे पहले गंगा, तुलसी और सरस्वती धरती से विलुप्त होने लगेंगी। ये तीनों बैकुंठ धाम में चले जाएंगी। जब ये तीनों देवियां धरती से वापस जाएंगे तो उनके साथ वृंदावन और काशी को छोड़कर बाकी सारे तीर्थ भी इनके साथ वापस बैकुंठ चले जाएंगे।

कलियुग में भगवान जगन्नाथ धरती से चले जाएंगे

इसी के साथ जब कलियुग का 10 हजार वर्ष बीतेंगे तो शालिग्राम, श्री हरि की मूर्ति, पुरुषोत्तम भगवान जगन्नाथ धरती को छोड़कर अपने धाम को पधार जाएंगे। इसी के साथ लोग पूजा पाठ करना बंद कर देंगे। लोग उपवास करना बंद कर देंगे और ग्राम देवी देवता का पूजन बंद कर देंगे।

कलियुग में लोग करेंगे मांस मंदिरा का अधिक सेवन

कलियुग के 10 हजार वर्ष बीत जाने के बाद लोग मांस मदिरा का अधिक सेवन करने लगेंगे। लोग झूठ का सहारा लेंगे। पुरुष और स्त्री एक दूसरे को धोखा देने लगेंगे।

कलियुग में अपने परिवार के बैर रखेंगे लोग

कलियुग जैसे जैसे अपने चरम पर पहुंचेगा लोग अपने परिवार के लोगों से अपरिचित व्यक्तियों की तरह व्यवहार करने लगेंगे। भाई भाई से बात नहीं करेगा। बहन भाई से कोई संबंध नहीं रखेगी। संबंधों में मधुरता खत्म होती जाएगी। सगे रिश्ते भी एक दूसरे का साथ नहीं देंगे।

कलियुग में कम होगी अनाज की पैदावार

कलियुग के 10 हजार वर्ष के बाद जमीन में अनाज की पैदावार नहीं होगी। लोग बुरे शब्दों का प्रयोग करेंगे। लोगों के व्यवहार में मिठास नहीं रहेगी।

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