विदेश

भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनाव जारी, डेपसांग मैदानों में चीन अपनी ताकत बढ़ा रहा

बीजिंग
 चीन की विस्तारवादी नीतियां एक बार फिर देखने को मिल रही हैं। ये भारत की टेंशन बढ़ाने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी सेना डेपसांग मैदानों में भारत के हिस्से वाली सीमा के अंदर कब्जे वाले इलाके में तेजी से बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रही है। पूर्वी लद्दाख में कई अतिक्रमण पॉइंट पर चीन ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। इससे जुड़ी रिपोर्ट द टेलीग्राफ इंडिया में छपी है। रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले से कहा गया, 'हाल की जमीनी रिपोर्टों से पता चलता है कि चीनी सेना ने डेपसांग मैदानों में भारत के दावे वाली सीमा में अपने बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को बढ़ा दिया है।'

अधिकारी ने कहा, 'चीन अन्य अतिक्रमण बिंदुओं पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।' उन्होंने आगे कहा, 'पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेपसांग मैदानों में अतिरिक्त राजमार्ग और सड़कें बना रही है। इसने पूर्वी लद्दाख में भारत के दावे वाली सीमा के भीतर पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तटों पर सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी तेजी ला दी है।' रिपोर्ट के मुताबिक 2020 से चल रहे सीमा गतिरोध का कोई भी समाधान नहीं हुआ है, जिसके कारण भारतीय सेना ने पहाड़ी इलाकों में अपनी सैन्य चौकियों को बढ़ा दिया है, ताकि किसी भी उकसावे से निपटा जा सके।

गलवान में हुई थी हिंसा

चीन ने अब तक डेपसांग मैदानों में कब्जे वाले क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने से इनकार कर दिया है। जबकि गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से आंशिक सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति व्यक्त की है। समझौते के तहत दोनों सेनाएं एक बफर जोन बनाकर समान दूरी से पीछे हट गई हैं। गलवान नदी के करीब के इलाके को गलवान वैली कहते हैं। 1962 से ही यह दोनों देशों के बीच तनाव का कारण रहा है। 2020 में यहां एक हिंसक झड़प देखने को मिली थी।

बॉर्डर के पास चीन बनाता है गांव

इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि चीन लगातार एलएसी के करीब बॉर्डर पर गांव बसा रहा है। यह दोहरे इस्तेमाल वाले गांव हैं, जहां सिविल और मिलिट्री का फ्यूजन देखने को मिलता है। भारत के साथ सीमा पर गांव बसाना चीन की रणनीतिक 'ग्रे जोन' टूल के रूप में जाना जाता है। इन गांवों में सैन्य और दोहरे इस्तेमाल वाले बुनियादी ढांचे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि गांवों का निर्माण करके बॉर्डर पर आबादी बढ़ाकर चीन अपने क्षेत्रीय दावों को वैध करना चाहता है।

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