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महादलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़े समुदायों लंबित मानदेय के भुगतान के लिए 774 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी प्रदान

पटना
 बिहार मंत्रिमंडल ने महादलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़े समुदायों के बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा से जोड़ने वाले लगभग 30,000 शिक्षा सेवकों और ‘तालीमी मरकज’ को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को उनके लंबित मानदेय के भुगतान के लिए 774 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को संपन्न मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने संवादाताओं को बताया, ‘मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2024-25 में स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय के अन्तर्गत महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना कार्यक्रम के संचालन के लिए 7.74 अरब रूपये को स्वीकृति दे दी है।’

शिक्षाा विभाग के लिए मिले 7 अरब से ज्यादा रुपए

उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के अन्तर्गत अक्षर आंचल कार्यक्रम का उद्देश्य महादलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़े समुदायों के छह से 14 वर्ष के आयु के बच्चों को औपचारिक स्कूली शिक्षा से जोड़ना है। उनका कहना था कि मंत्रिमंडल के इस फैसले से करीब 30,000 शिक्षा सेवकों और तालीमी मरकज को पिछले कई महीनों से लंबित मानदेय मिल सकेगा।
बिहार कैबिनेट ने लिए और कई बड़े फैसले

बिहार कैबिनेट ने पिछले साल राज्य के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत शिक्षा सेवकों/तालिमी मरकज का मासिक मानदेय 11,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 22,000 रुपये कर दिया था। सिद्धार्थ ने बताया कि मंत्रिमंडल ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम मनरेगा के तहत उन लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने को भी मंजूरी दे दी है जिन्हें आवेदन जमा करने के पंद्रह दिनों के भीतर योजना के तहत काम नहीं मिलता है । सिद्धार्थ ने कहा कि इसके अलावा मंत्रिमंडल ने ‘एक्स’, ‘वाई’ और ‘जेड’ श्रेणी के शहरों तथा वर्गीकृत नहीं किए गए शहर में भी रहने वाले राज्य सरकार के कर्मचारियों के किराए भत्ते में वृद्धि को भी मंजूरी दे दी है।
इन शहरों में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों को फायदा

एस सिद्धार्थ ने कहा, ‘दिल्ली और मुंबई जैसे एक्स श्रेणी के शहरों में तैनात राज्य सरकार के कर्मचारियों को अब उनके मूल वेतन का 30 प्रतिशत किराया भत्ता मिलेगा, पटना जैसे वाई श्रेणी के शहर में कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 20 प्रतिशत (पहले यह 16 प्रतिशत था) के रूप में मिलेगा, जेड श्रेणी के शहरों में उन्हें उनके मूल वेतन का 10 प्रतिशत (पहले यह आठ प्रतिशत था, किराया भत्ता के रूप में मिलेगा।’

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