उत्तर प्रदेश

समाजवादी पार्टी को यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिला

लखनऊ
समाजवादी पार्टी के लिए फिलहाल यूपी में 'अच्छे दिन' चल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल करने के बाद अब उसे एक और कुर्सी मिलने जा रही है। दो साल पहले विधान परिषद में जो उसने नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी गंवाई थी, जुलाई में होने वाले विधानमंडल सत्र में उसे वह वापस मिल जाएगी। क्योंकि, सदस्य संख्या के कोरम को उसने पूरा कर लिया है। अब दोनों सदनों में ही उसके पास नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी होगी। वहीं, कांग्रेस के बाद बसपा भी आधिकारिक तौर पर परिषद में शून्य हो चुकी है।

6 जुलाई 2022 के पहले विधान परिषद में सपा ने लाल बहादुर यादव को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष बनाया था। 6 जुलाई को परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया। इनका चुनाव विधायक करते हैं। विधानसभा में सदस्य संख्या के आधार पर सपा के 3 ही सदस्य ही चुनकर आ पाए। इससे उसके पास 9 ही सदस्य रह गए। नेता प्रतिपक्ष के लिए 10% सदस्य होने आवश्यक हैं। सपा से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा छीन लिया गया। वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी सपा के एमएलसी पद से इस्तीफा दे दिया था। परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल मई के पहले हफ्ते में खत्म हो गया था। इसमें सपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल भी शामिल थे। ऐसे में सपा के 7 सदस्य ही रह गए थे। मार्च में 13 सीटों पर हुए चुनाव में सपा को 3 सीटें मिली हैं। शुक्रवार को शपथ ग्रहण के बाद सपा की सदस्य संख्या अब 10 हो गई है। पार्टी जल्द ही नेता प्रतिपक्ष के लिए नाम का चयन कर सभापति के पास भेजेगी।

भाजपा के पास अब 78 सदस्य, सुभासपा भी पहली बार उच्च सदन में

मई में हुए चुनाव में NDA के खाते में परिषद की 10 सीटें आई थीं। इसमें 7 भाजपा, 1 अपना दल (एस), 1 रालोद और 1 सुभासपा को मिली थी। विधान परिषद में भाजपा के अभी 71 सदस्य हैं। शुक्रवार को 7 और सदस्यों के शपथ लेने के बाद यह संख्या बढ़कर 78 हो जाएगी। वहीं, 6 साल बाद विधान परिषद में फिर रालोद की वापसी होगी। 5 मई 2018 को उसके एकमात्र सदस्य चौधरी मुश्ताक अहमद का कार्यकाल खत्म हो गया था। इसके बाद रालोद के पास परिषद में पहुंचने लायक सदस्य संख्या ही नहीं रही। इस बार भाजपा के सहयोग से पार्टी की फिर उच्च सदन में वापसी हुई है। वहीं, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा की भी परिषद में एंट्री हो गई है। बिच्छेलाल राजभर सुभासपा की अगुआई करेंगे। जबकि, यह पहली बार होगा कि यूपी में राजनीति करने वाली दो राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस व बसपा का कोई प्रतिनिधि परिषद में नहीं होगा। कांग्रेस जुलाई 2022 में जीरो हो गई थी और बसपा 4 मई के बाद शून्य हो चुकी है।

दो सीटें अब भी खाली

विधान परिषद में दो सीटें अब भी खाली हैं। इसमें एक सीट तो हाल में ही पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के पीलीभीत से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। वह नामित कोटे में एमएलसी थे। इस पर सरकार की संस्तुति पर राज्यपाल सदस्य मनोनीत करते हैं। इसलिए, यह सीट फिर से भाजपा के खाते में जानी तय है। वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफा दिए जाने के चलते भी एक सीट खाली है, जिस पर उपचुनाव होना है। उनका कार्यकाल जुलाई 2028 तक था। इसलिए, बची अवधि के लिए नया चेहरा चुना जाएगा। सदस्य संख्या के आधार पर उपचुनाव में यह सीट भी सत्ता पक्ष के खाते में ही जाएगी।

 

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