देश

अग्निपथ स्कीम खत्म होगी या बदलेगी ? बन गई समिति, सिफारिश पर तुरंत फैसला लेगी मोदी सरकार

नई दिल्ली
'अबकी बार 400 पार' का नारा देने वाली बीजेपी का गठबंधन 300 भी पार नहीं कर सका तो मतदाताओं की नाराजगी की वजहें ढूंढी जाने लगी हैं। भले ही कम सीटों के साथ, लेकिन एनडीए सरकार वापस आ गई है तो उसने अपनी नीतियों की समीक्षा शुरू कर दी है। जिन इलाकों से बड़ी संख्या में युवा सेना में जाते हैं, वहां भी बीजेपी को चुनावी नुकसान उठाना पड़ा है। इस कारण अग्निपथ स्कीम की पड़ताल भी शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3.0 सरकार ने 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक समूह को अग्निपथ योजना की समीक्षा करने और सशस्त्र बलों की भर्ती योजना को अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाने का काम सौंपा है। केंद्र सरकार चाहती है कि जितनी जल्दी हो सके अग्निपथ स्कीम की हर कमी को दूर कर लिया जाए।
पीएम के सामने प्रजेंटेशन देगा सेक्रेटरी समूह

मामले से जुड़े अधिकारियों ने  बताया कि प्रधानमंत्री जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होकर इटली से लौट जाएंगे तब सचिवों का यह पैनल अंतिम प्रस्तुति देगा। जी-7 शिखर सम्मेलन 13 से 15 जून तक चलेगा। सूत्रों ने बताया कि सचिवों का यह समूह अग्निपथ योजना में बदलाव के तहत सैलरी बढ़ाने समेत अन्य लाभ देने का सुझाव दे सकता है। अग्निवीरों के भर्ती कार्यक्रम की समीक्षा नई सरकार के संशोधित 100 दिवसीय एजेंडे में भी शामिल है।

अग्निपथ स्कीम की सेना भी कर रही है समीक्षा

चर्चाओं से अवगत एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को बताया, 'सचिवों का समूह 16 जून से पहले विवरण तैयार करेगा और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक विस्तृत प्रजेंटेशन देगा।' उन्होंने कहा कि प्रजेंटेशन 17 या 18 जून को होने की संभावना है। राज्यों सहित अन्य हितधारकों से सिफारिशों और फीडबैक की समीक्षा करने के बाद पीएमओ योजना में बदलावों पर अंतिम फैसला लेगा। उधर, सेना भी अपने स्तर से अग्निपथ योजना की समीक्षा कर रही है। अधिकारी ने कहा, 'सेना भी अपना आंतरिक मूल्यांकन कर रही है।' सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों में कर्मियों की अल्पकालिक भर्ती के लिए जून 2022 में अग्निपथ योजना शुरू की थी।

योजना की आलोचना

अग्निपथ को रक्षा पेंशन बिल के बढ़ते बोझ के बीच सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। चुनाव अभियान के दौरान विपक्ष ने इस योजना के खिलाफ माहौल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में विपक्ष का यह एजेंडा चल निकला। मतदाता इस बात को लेकर नाराज हैं कि अग्निवीरों को नौकरी की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी गई। इस पर महंगाई का मुद्दा विपक्ष के पक्ष में खूब काम आया।

अग्निवीरों को क्या मिलता है, जानिए

अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीरों को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाता है। इस अवधि के दौरान, उन्हें 30 हजार रुपये से शुरू होने वाला नियमित मासिक वेतन मिलता है और चौथे वर्ष में 40 हजार रुपये तक पहुंच जाता है। इसके अतिरिक्त, चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर को एकमुश्त सेवा निधि पैकेज के रूप में लगभग 12 लाख रुपये मिलेंगे। सशस्त्र बल अपनी आवश्यकताओं के आधार पर अग्निवीरों को स्थायी सेवा भी दे सकते हैं।

अग्निवीर योजना से सरकार को होती है बचत

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के एक अध्ययन के अनुसार, एक अग्निवीर की लागत सरकार को पूर्णकालिक भर्ती की तुलना में हर साल 1.75 लाख रुपये कम पड़ती है। 60 हजार अग्निवीरों के एक बैच के लिए वेतन पर कुल 1,054 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसने कहा कि मध्यम से लंबी अवधि में पेंशन बिल पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। पेंशन रक्षा बजट का लगभग 20-25% हिस्सा है। अंतरिम बजट में केंद्र ने रक्षा के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए।

सत्तारूढ़ गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भी इस योजना की समीक्षा की मांग की है। पिछले हफ्ते जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा था कि उनकी पार्टी चाहती है कि इस योजना की कमियों पर विस्तार से चर्चा की जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button