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सुप्रीम कोर्ट पानी वाले केस में क्यों केजरीवाल सरकार से नाराज हुआ

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अरविंद केजरीवाल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई टाल दी जिसमें दिल्ली के लिए यमुना में अतिरक्ति पानी छोड़ने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की पिछली सुनवाई के दौरान याचिका में जिन खामियों को दूर करने को कहा था उनमें सुधार नहीं किया गया है। सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि याचिका खारिज भी की जा सकती है।   

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वाराले ने यह भी कहा कि केस की बहुत अधिक मीडिया कवरेज की वजह से पहले वे केस फाइल को पढ़ना चाहेंगे। जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'इसे परोस के लिए लिस्ट कर दीजिए ताकि सभी रिपोर्ट रिकॉर्ड पर आ जाए। हम फाइल भी पढ़ना चाहते हैं। मीडिया में इस पर बहुत रिपोर्टिंग हुई हैं और यदि हमने फाइल्स को नहीं पढ़ा तो मीडिया रिपोर्ट्स हमें प्रभावित कर सकते हैं और यह अच्छी चीज नहीं।'

कोर्ट ने यह भी कहा कि स्टेटस रिपोर्ट और अन्य शपथपत्र रिकॉर्ड पर नहीं है, याचिका में खामियों को दूर नहीं किया गया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसको लेकर दिल्ली सरकार पर गहरी नाराजगी जाहिर की। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कोर्ट ने कहा, 'पिछले सप्ताह आपको खामियां बताईं थीं, लेकिन अभी तक दूर नहीं किया गया है। मिस्टर सिंघवी खामिया दूर नहीं करेंगे।' कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो केस को खारिज कर दिया जाएगा।  

कोर्ट ने कहा, 'आप इस अदालत को धोखा नहीं दे सकते हैं। दफ्तर को यह पुष्टि करने दीजिए कि आपने खामियां दूर कीं और यदि आपने ऐसा नहीं किया तो याचिका को खारिज हो जाने दीजिए। इसे खारिज कर दिया जाएगा।' हालांकि, सिंघवी ने कहा कि कमियों को दूर किया गया है। साथ ही कोर्ट को भभरोसा दिया कि यदि कुछ रह गया है कि तो उसे दूर किया जाएगा। गौरतलब है कि भीषण गर्मी के बीच दिल्ली में पानी की भारी किल्लत है। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि पड़ोसी राज्यों से उसे ज्यादा पानी दिलाई जाए। पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश से 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने को कहा था और हरियाणा को आदेश दिया था कि निर्बाध तरीके से पानी दिल्ली तक पहुंचने दें।

 

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