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‘झारखंड के फादर स्टैन स्वामी जैसा व्यवहार हेमंत सोरेन के साथ हो रहा’: कल्पना सोरेन

रांची.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) नेता ने दावा किया कि जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ वैसा ही व्यवहार किया जा रहा है, जैसा जेसुइट पादरी स्टैन स्वामी के साथ किया गया था। दरअसल, स्टैन स्वामी की पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई थी। झामुमो नेता के अनुसार, पादरी स्टैन स्वामी ने आदिवासियों के अधिकार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के फेसबुक से एक पोस्ट किया गया, जिसमें कहा गया कि यह लोकसभा चुनाव झारखंड के लिए स्वामी की हिरासत में मौत का बदला लेने की शुरुआत है।

बता दें कि हेमंत सोरेन का फेसबुक अकाउंट फिलहाल उनकी पत्नी कल्पना सोरेन संचालित कर रही हैं। हेमंत सोरेन को भूमि घोटाला मामले के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। सोशल मीडिया पोस्ट पर कहा गया, "जिस तरह से कमजोर वर्ग के लिए आवाज उठाने वाले फादर स्टैन की आवाज को अन्याय की संस्था ने खामोश कर दिया; आज ठीक उसी तरह का व्यवहार हेमंत सोरेन के साथ किया जा रहा है। आज सभी झारखंड वासियों को हेमंत सोरेन के समर्थन में डटकर खड़े रहने की जरूरत है, वरना झारखंड को मणिपुर में बदलने में देर नहीं लगेगा।"
मणिपुर में दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच पिछले एक साल से हिंसा जारी है, जिसमें अबतक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। पोस्ट में आगे कहा गया, "लोकसभा चुनाव 2024 फादर स्टैन की पुलिस हिरासत में हुई मौत का बदला लेने की शुरुआत है।" पिछले तीन लोकसभा चुनाव में झारखंड में दबदबा बनाकर रखने वाली भाजपा को इस बार खूंटी, सिंहभूम, लोहरदगा, राजमहल और दुमका क्षेत्र में बड़ा झटका लगा। इनमें से तीन सीटों पर झामुमो ने और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। जेल में बंद पूर्व सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन ने गांडेय उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार दिलीप कुमार शर्मा के खिलाफ 27,149 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।

भाजपा पर लगाए गए आरोप
पोस्ट में आगे कहा गया, "बुढ़ापे और पर्किंसन की बीमारी से पीड़ित फादर स्टैन को जमानत नहीं दी गई थी। सरकार द्वारा लगाए गए झूठे आतंकवाद के आरोपों के कारण उनका ठीक से इलाज भी नहीं कराया गया। पानी पीने के लिए उन्हें 25 पैसे वाला स्ट्रॉ भी नहीं दिया गया था। बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों के कारण फादर स्टैन की 2021 में मौत हो गई। उनकी मौत आतंकवाद के बहाने विपक्ष और आदिवासियों को दबाने की भाजपा की नीति का एक उदाहरण है।" बता दें कि स्वामी को 2020 में गिरफ्तार किया गया था। भीमा कोरेगांव मामले के सिलसिले में उन्हें मुंबई ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। 

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