छत्तीसगड़

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: तलाकशुदा पत्नी का पति की पेंशन पर नहीं कोई हक

बिलासपुर

छत्तीसगढ़ की हाईकोर्ट ने तलाकशुदा पति-पत्नी के मामले में एक बड़ा फैसला किया है. दरअसल, एक तलाकशुदा पत्नी ने पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि तलाक की डिग्री से पति-पत्नी के बीच कानूनी बंधन भी भंग होता है. इसलिए पारिवारिक पेंशन का मौद्रिक लाभ मृतक की तलाकशुदा पत्नी को नहीं मिल सकता है.

हक नहीं बनता
बिलासपुर हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि जब पति पत्नी के बीच तलाक हो जाता है तो फिर उनका शादी का संबंध पूरी तरह से खत्म हो जाता है. ऐसे में अगर पति की मौत के बाद पत्नी उसकी पेंशन या फिर अनुकंपा नियुक्ति पर दावा करती है तो इस पर उसका कोई अधिकार नहीं बनता है. इसलिए इस याचिका को रद्द किया जाता है.

यह पूरा मामला
दरअसल, राजधानी रायपुर में रहने वाली एक महिला ने साल 2005 में एक चर्च में जिस शख्स से शादी की थी. बाद में उसने पारिवारिक विवाद पर परिवार न्यायालय में पति से तलाक लेने आवेदन दिया. जून 2008 में न्यायालय ने पत्नी के पक्ष में तलाक का डिक्री पारित कर पति को प्रति माह दो हजार रुपये मेंटेनेंस व्यय देने का आदेश दिया था, वहीं पति-पत्नी स्थाई रूप से अलग रह रहे थे. दिसंबर 2012 में तलाकशुदा पति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. ऐसे में पति की मौत के तुरंत बाद तलाकशुदा पत्नी ने पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया. उसका दावा था कि पति की पेंशन और अनुकंपा नियुक्ति उसे मिलनी चाहिए.

कोर्ट ने ली थी न्याय मित्र की सहायता
वहीं जिस विभाग में मृतक काम करता था उस विभाग ने सके तलाकशुदा होने व मृतक द्वारा सेवा पुस्तिका में भाई को नामनी किये जाने पर आवेदन को खारिज किया था. जिसके बाद महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामला पेचीदा होने पर कोर्ट ने न्याय मित्र की भी सहायता ली. 10 साल की लंबी सुनवाई व सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायदृष्टांत को देखते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट का कहना है कि मृतक से तलाक होने के बाद महिला का उस पर कोई अधिकार नहीं बनता है. 

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