मध्यप्रदेश

हाईकोर्ट पहुंचा नीट यूजी रिजल्ट का मामला, छात्रा ने दाखिल की याचिका, सुनवाई 12 जून को

भोपाल

NEET UG Result 2024 Case: मेडिकल कॉलेज प्रवेश के लिए आयोजित नीट यूजी का रिजल्ट जारी हो गया है। नीट यूजी में इस साल रिकॉर्ड बनते हुए 67 छात्रों को पहली रैंक मिली है। रिजल्ट जारी होते ही धांधली का आरोप लगता नजर आया। अब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। NEET परीक्षाओं में ग्रेस मार्क देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट एक याचिका दायर की गई है। इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की अवकाश पीठ ने आज मामले की सुनवाई करते हुए NTA की ओर से पेश वकील को इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने का और समय दिया। याचिका श्रेयांसी ठाकुर नाम की 17 वर्षीय छात्रा ने दाखिल किया है कि ग्रेस मार्क देने का एनटीए का फैसला मनमाना है और हजारों छात्रों को प्रभावित कर रहा है।

NEET UG Re Exam की मांग

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट, (NEET) यूजी 2024 का रिजल्ट बीते दिन 4 जून को जारी कर दिया है। NEET 2024 का रिजल्ट आ चुका है और इस साल करीब 67 बच्चों ने 720 स्कोर किया है। इतिहास में पहली बार एक साथ 67 बच्चों ने 720 अंक हासिल किए हैं। ऐसे में रिजल्ट पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। रिजल्ट की जांत करवाने और नीट यूजी परीक्षा फिर से कराने की मांगी की जा रही है।

याचिका में कहा गया था कि एम्स का कट ऑफ मार्क्स 717 है। एक संस्थान के छात्रों को उपकृत करने के लिए परीक्षा में भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार किया गया है। याचिका में राहत चाही गयी थी कि उच्च न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय कमेटी जांच करे तथा चयनित छात्रों को अस्थाई तौर पर दाखिला दिया जाए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिका दायर की है।

तालाब तोड़ने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
जबलपुर हाईकोर्ट की ग्रीष्मकालीन जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने यूनिसेफ द्वारा निर्मित तालाब को तोड़ने के निर्णय पर रोक लगा दी है। एकलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सीहोर जिले के ग्राम खड़ी निवासी 16 किसानों की तरफ से उक्त याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि उनके गांव में यूनिसेफ द्वारा साल 2002-03 में तालाब का निर्माण किया गया था। तालाब निर्माण का उद्देश्य था कि किसानों को लोगों को पानी मिल सके। खेती करने के लिए वह तालाब के पानी का उपयोग करते हैं।

याचिका में कहा गया था कि तालाब का निर्माण किसानों की जमीन में किया गया था, जिसका उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया था। मुआवजा की मांग करते हुए संबंधित किसानों ने न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय द्वारा नोटिस जारी होने पर जिला कलेक्टर ने तालाब तोड़ने का निर्णय लिया है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में तालाब तोड़ने पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता नरिन्दरपाल सिंह रूपराह ने पैरवी की।

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