इंदौर पोहा बना शहर की पहचान : कैलाश विजयवर्गीय
इंदौर
मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर की एक पहचान पोहा भी है। विश्व पोहा दिवस पर सभी अपने तरह से पोहा का आनंद ले रहे हैं।
राज्य सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पोहा का आनंद लिया और कहा कि इंदौर की पहचान ही पोहा है, जो सामाजिक समरसता को भी बढ़ाता है।
आज शुक्रवार को विश्व पोहा दिवस है। इस मौके पर हर इंदौरवासी अपने तरह से अपने विचार व्यक्त कर रहा है और पोहे का आनंद उठा रहा है।
इस मौके पर राज्य सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी पोहा का आनंद लिया और एक्स पर लिखा, "इंदौर की पहचान है पोहा। आज विश्व पोहा दिवस है, यानी इंदौर का दिवस है। पोहा सिर्फ एक खाद्य पदार्थ भर नहीं, यह शरीर के लिए भी गुणकारी होता है। इंदौर में तो पोहा सामाजिक समरसता को भी बढ़ाता है।"
उन्होंने आगे लिखा, "इसी अवसर पर आज राजवाड़ा पर आयोजित पोहा पार्टी में सहभागिता कर स्नेही जनों से भेंट की।"
इस मौके पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला सहित बड़ी संख्या में स्वजनों की उपस्थिति रही।
राजवाड़े पर रमेश मेंदोला मित्र मंडल ने पोहा दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया। इस मौके पर गीत संगीत की धूम तो रही, साथ में लोगों ने पोहा का भी स्वाद चखा और इस मौके का आनंद उठाया।
हम आपको बता दें कि सिर्फ इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे मालवा में सुबह के नाश्ते का हिस्सा है पोहा और यहां तो सुबह से लेकर देर रात तक पोहे की दुकान सजी रहती है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित वे सार्वजनिक स्थल जहां पर लोगों की रात भर आवाजाही रहती है, उन स्थानों पर चाय के साथ पोहा जरूर मिलता है। पोहा को यहां के लोग अपने-अपने तरह से खाते हैं। कोई नमकीन मिलाकर खाता है तो कोई सब्जी मिलकर पोहे का आनंद लेता है।
रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निजामपुर से पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए थे। उस समय उनकी बुआ यहां रहा करती थीं। उन्हें इंदौर इतना पसंद आया कि वे यहीं के होकर रह गए। सबसे पहले उन्होंने गोदरेज कंपनी में सेल्समैन की नौकरी की थी। लेकिन नौकरी में उनका मन नहीं लगा। वो कुछ अलग करना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने इंदौरियों को पोहे का स्वाद चखाया। फिर तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से अपनी दुकान खोल ली। इससे पहले इंदौर में पोहा बेचने वाली कोई दुकान नहीं थी। वहीं पोहे का नया स्वाद इंदौरियों को ऐसा पसंद आया कि उसका जायका आज तक बना हुआ है।
10-12 पैसे प्लेट बिकता था पोहा, अब एक नहीं करीब 3000 दुकानें
उस समय पुरुषोत्तम जोशी 10-12 पैसे का एक प्लेट पोहा बेचते थे। लेकिन आज वही एक प्लेट पोहा 15-20 रुपए का बिकता है। वहीं इंदौर में एक दुकान से हुई पोहा बेचने की शुरुआत आज एक बड़े बिजनेस का रूप ले चुकी है। दरअसल आज इंदौर में 10-12 नहीं बल्कि पोहा बेचने वाली करीब 3000 दुकाने हैं। जहां स्वाद के दीवाने इंदौरी ही नहीं, बल्कि टूरिस्ट, नेता, प्रधानमंत्री, बॉलीवुड की हस्तियां पोहा जरूर खाकर जाते हैं।
पहले केवल मारवाड़ी और महाराष्ट्र के लोग ही खाते थे पोहा
आपको जानकर हैरानी होगी जो पोहा आज इंदौरियों की शान है, वो कभी इंदौरी चखते तक नहीं थे। पोहा केवल मारवाड़ी परिवार और महाराष्ट्रीयन परिवार ही पोहे खाते थे। इसे इन परिवारों का पारिवारिक व्यंजन माना जाता था।
इंदौर में बीजेपी ने मनाया विश्व पोहा दिवस
इंदौर में बीजेपी ने शुक्रवार 7 जून को विश्व पोहा दिवस मनाया। इस दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को अपने बचपन के दिन याद आ गए। उन्होंने मीडिया को बताया कि वह जब स्कूल में थे तो कबड्डी खेलने के लिए महाराजा स्कूल आया करते थे. इस दौरान राजवाड़ा पर आकर प्रशांत के पोहे खाया करते थे। उस समय 15 पैसे प्रति प्लेट के हिसाब से पोहे मिला करते थे। अब यह ₹20 प्रति प्लेट हो गया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उन्होंने विश्व के अलग-अलग देश में पोहे खाए हैं। उन्होंने अमेरिका, जापान और कनाडा में भी पोहे मिलने की बात कही। लेकिन उन्होंने ये भी बताया कि हर जगह पोहे की पहचान इंदौर के नाम से ही है।