वॉशिंगटन, Realindianews.com ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस HIV से होने वाली बीमारी को लाइलाज माना जाता है, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है। हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने HIV से जूझ रही एक महिला को ठीक किया है। यह दुनिया का ऐसा तीसरा मामला है। इससे पहले दो पुरुषों को इस जानलेवा बीमारी के चंगुल से बाहर निकाला गया था।
नई तकनीक में डोनर के अम्बिलिकल कॉर्ड (गर्भनाल) के खून का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने नए स्टेम सेल (कोशिका) ट्रांसप्लांट की मदद से HIV मरीज का इलाज किया है। इस तकनीक में डोनर के अम्बिलिकल कॉर्ड (गर्भनाल) के खून का इस्तेमाल किया गया। इस खून से स्टेम सेल्स को निकाला गया, जिनसे पीडि़त महिला का इलाज हुआ। (स्टेम सेल उन गंभीर बीमारियों में बड़े काम का है, जिनमें शरीर की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं। ऐसे में स्टेम सेल उन कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करता है, जिससे बीमारी दूर होती है।)
ट्रेडीशनल इलाज में बोन मैरो से स्टेम सेल्स निकाले जाते हैं। पर एचआईव्ही मरीजों के लिए खतरनाक है क्योंकि इस तकनीक से सिर्फ उन्हीं का इलाज किया जाता है जो कैंसर के मरीज हों और उनके पास कोई दूसरा रास्ता न बचा हो। इसके अलावा बोन मैरो के जरिए होने वाले इलाज में डोनर और रिसीवर के ब्लड सेल्स अच्छे से मैच होना जरूरी होता है, लेकिन अम्बिलिकल कॉर्ड में ऐसा नहीं है। इस तरीके के इलाज में डोनर और रिसीवर के ब्लड सेल्स पूरी तरह न भी मिलें तो भी परेशानी वाली कोई बात नहीं है। सीडीसी के अनुसार, अमेरिका में 12 लाख लोग एचआईव्ही की चपेट में हैं। महिला के इलाज में शामिल डॉ. कोएन वेन बेसीन का कहना है कि नए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की मदद से अमेरिका में हर साल 50 HIV मरीजों को ठीक किया जा सकेगा। चूंकि डोनर के अम्बिलिकल कॉर्ड से निकाले गए सेल्स रिसीवर से पूरी तरह मैच होना जरूरी नहीं है, इससे ज्यादा डोनर्स मिलने में आसानी होगी।