जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुए पहले संसदीय चुनावों में राज्य की सियासी हवा बदलती नजर आ रही
नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हुए पहले संसदीय चुनावों में राज्य की सियासी हवा बदलती नजर आ रही है। सात चरणों में हुए लोकसभा चुनावों की आज हो रही मतगणना में राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री हार की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर नेशनल कांफ्रेंस के मियां अल्ताफ पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से एक लाख 74 हजार 664 वोटों से आगे हैं। महबूबा के लिए यह बड़ा अंतर है।
दूसरी तरफ नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी बारामूला सीट पर पिछड़ते दिख रहे हैं। इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार अब्दुल रशीद शेख उर्फ इंजीनियर रशीद उनसे करीब 89000 वोटों से आगे चल रहे हैं। इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें बारामूला लोकसभा सीट से जीतने की उम्मीद है। अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा, ‘‘उतार-चढ़ाव होंगे लेकिन अंतिम परिणाम हमारे पक्ष में होंगे।’’
बहरहाल, घाटी की एक और सीट श्रीनगर से नेशनल कांफ्रेंस के उम्मीदवार आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी पीडीपी के वाहिद उर रहमान पारा से एक लाख 20 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। निर्वाचन आयोग के रुझानों के अनुसार, जम्मू संभाग के उधमपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह करीब 59000 मतों से आगे चल रहे हैं जबकि जम्मू से मौजूदा सांसद जुगल किशोर शर्मा 103,136 मतों से बढ़त बनाये हुए हैं।
कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों पर 50 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था। मतदान ने 1989 में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद का रिकॉर्ड तोड़ दिया। कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुई। श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी के तीन निर्वाचन क्षेत्रों के लिए स्थापित चार मतगणना केंद्रों पर सुबह आठ बजे मतगणना शुरू हुई थी।