छत्तीसगड़

रात 9 से 3 बजे तक पूजन करने से नहीं होगी लीवर और कैंसर की बीमारी : पंडित प्रदीप मिश्रा

रायपुर.

तुम्हारे दुख की घड़ी में भोले बाबा हमेशा खड़ा रहेगा। तुम्हारा कष्ट तुम्हें सहना है, कोई दूसरा नहीं सहेगा। परिवार वाले आएंगे, केवल शंकर जी को जल चढ़ाया है तो नंदी ही तुम्हारा दर्द बाटेंगे। देवाधिदेव महादेव पृथ्वी पर रहते हैं, वह तुम्हारे पास आएंगे तुम्हारा दुख हरने के लिए, लेकिन उसके लिए तुम्हें उन्हें दिल से पुकारना होगा। रात 9 से 15 बजे का पूजन करो तो लीवर और कैंसर की बीमारी दूर हो जायेगी।

रात को सवा नौ बजे भगवान शंकर को चढ़ाया गया जल और बेलपत्र से लीवर और कैंसर जैसी बीमारी दूर हो जाती है। ये बातें अंतरराष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने समर्पण शिव महापुराण कथा के चौथे दिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित महादेवघाट-अम्लेश्वर में कहीं। उन्होंने कहा कि जब हम किसी तीर्थस्थल और अपने गुरु के दरवाजे पर जाएं, भोग-भंडारे में जाएं तो वहां मांग कर खा लेना, वहां भोजन नहीं भोलेनाथ का प्रसाद मिलता है। जैसे ही प्रसाद हमारे हाथ में आ गया समझ लेना तुम्हें भगवान शिव के दर्शन हो गए। जिस दिन हम उस प्रसाद को स्पर्श कर लिया, उसी समय से तुम्हें होने वाले लकवा की बीमारी दूर हो जाएगी और कभी लकवा की बीमारी नहीं आएगी। कितना भी बड़ा आदमी हो मंदिर अगर गए हो तो दोनों हाथ जोड़कर प्रमाण करना कभी मत भूलना और जो भी प्रसादी के रूप में मिले उसे ग्रहण जरूर करना।

'भोग-भंडारे में जाएं तो मांग कर खा लें'
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब भी हम किसी तीर्थ स्थल, अपने गुरु के दरवाजे पर जाएं, भोग-भंडारे में जाएं तो वहां मांग कर खा लेना वहां भोजन नहीं भोलेनाथ का प्रसाद मिलता है। जैसे ही प्रसाद हमारे हाथ में आ गया समझ लेना तुम्हें भगवान शिव के दर्शन हो गए। जिस दिन हम उस प्रसाद को स्पर्श कर लिया उसी समय से तुम्हें होने वाले लकवा की बीमारी दूर हो जाएगी और कभी लकवा की बीमारी नहीं आएगी। कितना भी बड़ा आदमी हो मंदिर अगर गए हो तो दोनों हाथ जोड़कर प्रमाण करना कभी मत भूलना और जो भी प्रसादी के रुप में मिले उसे ग्रहण जरूर करना।

बताया वो वाकया
 उन्होंने बताया कि जिले की एक महिला को कैंसर था और उसने रायपुर के एम्स हॉस्पिटल में इलाज कराया तो कैंसर निकला। इसके बाद उनके यह पूजा प्रारंभ किया और जब दोबारा टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आया। एक और पत्र को उन्होंने पढ़ा और बताया कि जबलपुर की रहने वाली 6 वर्षीय बच्ची जो बोल नहीं सकती थी और उसके दिल में गाठ हो गया था। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की पूजा प्रारंभ किया और रुद्राक्ष का जल पीने से वह 90 प्रतिशत बोलने लगी हैं। उसके दिल में गठान भी था वह भी ठीक हो गया। महाराज ने मंच पर बुलाकर बच्ची और उसके माता-पिता का बेलपत्र देकर सम्मानित किया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने लोगों को एक सीख देते हुए कहा कि जब हम भगवान शंकर के मंदिर में जाकर एक लोटा जल चढ़ाते हैं वह दिखाई नहीं देता है, लेकिन आपकी हर कहीं गई बात को वो सुनते हैं। उसका जवाब जरूर देते हैं। हम मोबाइल पर बात करते हुए अपनी सारी बातें कह देते हैं, जिसको देख नहीं पा रहे  हैं। आप जो बातें कर रहे हो वह दिखाई नहीं दे रहा है, वीडियो कॉलिंग हो तो जरूर दिखाई देगा। नहीं दिखाई देने वाले व्यक्ति को हम अपनी दिल की सारी बातें कह देते हैं। वह सुनता रहता है और जवाब थोड़ा बहुत देता है।

'सर्विस वाला समर्पण नहीं चाहिए'
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई लोग कहते हैं ईश्वर है, कोई कहता है नहीं है, कोई कहता है मंदिर तक जाओ शंकर की सेवा करो। आराधना करो, कोई कहता है आपको पूजन नहीं करना है, हम तो केवल इतना कहते हैं तुम्हें जो अच्छा लगे उसकी पूजा करो। जिस भी भगवान का पूजन करो पूर्ण समर्पण होकर करो। हमारे यहां दो तरह के व्यक्ति होते हैं एक वह जो सर्विस करता है, दूसरा वह जिसकी खुद की दुकान है। दोनों में क्या अंतर है? सबसे बड़ा अंतर यह है कि नौकरी वाले व्यक्ति का 5 बजे छुट्टी होती है तो वह 4 बजे से घड़ी देखना प्रारंभ कर देता है लेकिन दुकानदार कभी भी घड़ी नहीं देखता। रात के 10 बजे तक वो दुकान में  बैठे रहता है। इस दौरान कोई ग्राहक पहुंच गया तो उससे वह सामान देकर विदा करता है। इसलिए मैं कहता हूं नौकरी करने वाला समर्पित नहीं बल्कि दुकान वाला समर्पित रहता है। नौकर भले कंजुसाई कर दें लेकिन दुकान वाला नहीं करता है। शिव महापुराण कथा यही कहती है कि हमें सर्विस वाला समर्पण नहीं चाहिए। 80 वर्ष का बुजुर्ग, 75 वर्ष की बुजुर्ग माँ घर के रसोई में खाना बनाने में पीछे नहीं हटती, लेकिन आज का युवा यही काम करना में हिचकिचाता है।

'ज्ञानी और मुर्ख व्यक्ति बनाने में भगवान ने की है बहुत मेहनत'
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि चंद्रवंश में नंद राम के राजा थे,  जिनका एक बेटा खरबूज था वह अपने पिता के अनुरुप ही शिव भक्ति में डूबा रहता था। संसार में मनुष्यों को बनाने में भगवान ने बहुत मेहनत की है। ज्ञानी भी बनता है तो मेहनत से बनाता है, बहुत ज्ञानी बना रहा है तो उसमें और ज्यादा मेनहत करते हैं। इसके साथ ही भगवान ने मुर्ख व्यक्ति बनाने में भी बहुत मेहनत की है। इसलिए मुर्ख व्यक्ति को तुम जितना भी समझाओंगे वह किसी की सुनता है बस अपने ही मन का करता है। तुम उसे बदलना चाहते हो लेकिन वह नहीं बदलता, उसे मत बदलो, बल्कि हमें अपने आपको खुद बदलना होगा। इस घोर कलयुग में शिव युग आकर समाहित हो गया यह कोई नहीं जान सका। मानव का देह मिला है इसलिए हमें अच्छा करना चाहिए। जिसने भी किसी को धोखा दिया है वह अगले जन्म में पागल बनता है।

'भैंस के आगे बिन बजाने से कुछ नहीं होगा'
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज हम देखते हैं कि छोटे-छोटे बच्चे शिव मंदिर में जल चढ़ाने लगे हैं। यह कलयुग का अंत का समय है। अमलेश्वर की जनता के साथ करोड़ों लोगों से अपील करना चाहता हूं कि जिस घर का बच्चा शंकर जी के मंदिर में एक लोटा जल चढ़ा दिया उस घर का बुजुर्ग कभी वृद्धाश्राम की सीढ़ी नहीं चढ़ेगा। जो बच्चा मंदिर जाना चालू कर दिया उसके मन में भगवान के प्रति जागृति आ जाएगी और वह कभी किसी को कष्ट नहीं देगा इसलिए गांव में फसल बिगड़ रही है और शहर में नस्ल बिगड़ रही है। इससे सुधारने का प्रयास करना होगा। पहले लोग गाय का दूध पीते थे, आज भैंस का दूध पी रहे हैं, इसलिए सास-बहू, पिता-पुत्र, भाई-बहन में आए दिन लड़ाई और झगड़ा हो रहा है इसलिए इनके आगे जितना भी बिन बजा लो। भैंस का दूध पिया है इसलिए आज का व्यक्ति टस से मस नहीं हो रहा है। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। एक-एक गौ माता घर में जरूर रखो और उसकी सेवा करो।

'मित्र ऐसा बनाओ जो हाथ पकड़ कर कथा तक लें जाए'
उन्होंने कहा कि दुनिया में अच्छे मित्र बड़ी मुश्किल से पमिलते हैं, जिस दिन तुम्हें अच्छा मित्र मिल जाए समझ लें महादेव खुद तुम्हारे पास उतर कर आएं है। मित्र ऐसा नहीं चाहिए जो मित्रता को छुड़वा दें, भगवान की भक्ति और कीर्तन करने से मना करें,  मित्र ऐसा चाहिए जो हाथ पकड़कर तुम्हे कथा तक ले जाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button