IED सुरंग विस्फोट की वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे नक्सली
जगदलपुर
नक्सली अब जवानों को निशाना बनाने के लिए इंप्रोवाइज़ एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) सुरंग विस्फोट की वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे हैं। अबूझमाड़ के रेकावाही के जंगल में दो दिन पहले ध्वस्त किए गए नक्सलियों के प्रशिक्षण कैंप से मिले दस्तावेज में इसके प्रमाण मिले हैं। इसमें मोटरसाइकिल में प्रयुक्त होने वाले अलार्म की वायरलेस तकनीक से आइईडी विस्फोट का उल्लेख है।
सुरक्षा बल को यह भी जानकारी मिली है कि कैमरों में प्रयुक्त होने वाली फ्लैश लाइट की मदद से भी विस्फोट की तकनीक पर नक्सली काम कर रहे हैं। पहले नक्सली जमीन के नीचे दबे तार को बैटरी से जोड़कर विस्फोट करते थे। हाल के वर्षों में सुरक्षा बल विस्फोटक डिटेक्टर व प्रशिक्षित श्वान का उपयोग कर जमीन के नीचे दबे तार के माध्यम से आइईडी विस्फोटक का पता लगा लेते हैं।
नक्सलियों ने हमले का बदला पैंतरा
इस कारण हाल के वर्षों में नक्सली कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इसे देखते हुए अब वे वायरलेस तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा नक्सली दस्तावेज में संगठन में काम करने वाले विभिन्न कैडर के नक्सलियों के कर्तव्य, युद्ध कौशल, हथियारों के उपयोग के बारे में भी जानकारी दी गई है।
अबूझमाड़ क्षेत्र की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों का उपयोग कर नक्सली यहां प्रशिक्षण कैंप संचालित करते हैं, जहां नए नक्सलियों को हथियार चलाने, बम बनाने सहित कई प्रशिक्षण दिए जाते हैं। शुक्रवार को सुरक्षा बल ने इन्हीं में से एक स्थायी प्रशिक्षण कैंप को ध्वस्त करते हुए आठ नक्सलियों को मार गिराया था।
कमांड आइईडी में करते हैं उपयोग
मोटरसाइकिल के अलार्म सेंसर व कैमरे के फ्लैश लाइट का उपयोग कमांड आइईडी से बड़े विस्फोट के लिए किया जाता है। कैमरे के फ्लैश लाइट व अलार्म सेंसर में लगभग 230 वोल्ट का विद्युत उत्पन्न होता है, जो कि आइईडी के विस्फोट होने के लिए पर्याप्त है।
तीस वर्ष पहले पहला विस्फोट
नक्सलियों ने बस्तर में पहला बारूदी सुरंग विस्फोट तीस वर्ष पहले 20 मई 1991 को किया था। कोंडागांव जिले के बंगोली में मतदान के बाद लौट रहे दल के 407 वाहन को विस्फोट कर उड़ा दिया था। इस घटना के बाद से लेकर दो वर्ष पहले दंतेवाड़ा जिले के अरनपुर में डिस्ट्रीक्ट रिजर्व बल के जवानों के वाहन को बारूदी सुरंग विस्फोट से उड़ाने की घटना तक नक्सली सैकड़ों बारूदी सुरंग विस्फोट कर चुके हैं। इन घटनाओं में एक हजार से अधिक जवान और आम नागरिक मारे गए थे।
दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने कहा, नक्सलियों के अबूझमाड़ में स्थित प्रशिक्षण कैंप से नक्सली दस्तावेज में युद्ध कौशल, संगठन और हथियारों के उपयोग व तकनीक से संबंधित जानकारी मिली है। इन दस्तावेजों का उपयोग संगठन में भर्ती किए जाने वाले नक्सलियों को प्रशिक्षण देने के लिए किया जाता है। सुरक्षा बल अब पहले से अधिक सशक्त और तकनीक से लैस है, नक्सलियों के प्रत्येक रणनीति का जवाब देने में सक्षम हैं।
पुलिस ने पिछले पांच वर्ष में 1225 आइईडी जब्त किए
2019 192
2020 278
2021 163
2022 128
2023 242
2024 33
योग: 1225 (आंकड़े इस वर्ष मार्च तक)