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भारत ने नाइजीरिया को एलसीए तेजस खरीदने पर ऑफरों की बौछार भी कर दी

अबूजा
 नाइजीरियाई वायु सेना लंबे समय से अपने लड़ाकू विमानों की फ्लीट बदलने पर विचार कर रही है। ऐसे में नाइजीरिया के पास पाकिस्तान-चीन का जेएफ-17 और भारत का एलसीए तेजस के तौर पर दो विकल्प मौजूद हैं। नाइजीरिया पहले से ही तीन जेएफ-17 विमानों का संचालन करता है, लेकिन इसके मेंटीनेंस ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। दूसरी ओर भारत ने नाइजीरिया को एलसीए तेजस खरीदने पर ऑफरों की बौछार भी कर दी है। ऐसे में संभावना है कि नाइजीरिया जल्द ही तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर ऑर्डर दे सकता है।
कितने तेजस खरीदेगा नाइजीरिया

प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबित नाइजीरिया 15 तेजस लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे सकता है। इतने विमानों को दो से तीन साल के अंदर नाइजीरिया को डिलीवर किया जा सकता है। एचएएल पहले से ही तेजस के कई मैन्यूफैक्चरिंग लाइन को ऑपरेट कर रहा है। ऐसे में नए ऑर्डर के लिए उसे अतिरिक्त असेंबली लाइन नहीं बैठानी पड़ेगी। नाइजीरियाई वायु सेना अपने पुराने चेंगदू F-7NI लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए नए विमानों की तलाश कर रही है।

भारत ने क्या-क्या ऑफर दिया

भारत ने एलसीए तेजस की खरीद पर नाइजीरिया को अधिक आकर्षक वित्तीय पैकेज का ऑफर दिया है। इसमें फाइटर जेट की खरीद करने पर चीन की सामान्य 6-8% रेंज की तुलना में काफी कम ब्याज दरों के साथ क्रेडिट लाइन भी शामिल है। एलसीए तेजस और पाकिस्तानी जेएफ-17 की कीमत लगभग समान है, फिर भी भारत को एक महत्वपूर्ण बढ़त प्राप्त है।

इंजन की रेस में तेजस को बढ़त

तेजस एमके1ए में अमेरिकी F404 इंजन लगा हुआ है, जबकि JF-17 में रूसी RD-93 इंजन है। अमेरिकी F404 इंजन की उपलब्धता काफी अधिक है। इसकी मेंटीनेंस कॉस्ट भी रूसी आरडी-93 की अपेक्षा कम है। रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों ने आरडी-93 के लिए स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता में बाधा उत्पन्न हो रही है। ऐसे में अगर नाइजीरिया जेएफ-17 को खरीद भी ले तो उसे पुर्जे मिलने में दिक्कतें आ सकती हैं।

नाइजीरियाई पायलटों की ट्रेनिंग का भी ऑफर

भारत की प्रतिबद्धता बिक्री से भी आगे तक फैली हुई है। उन्होंने दीर्घकालिक रक्षा संबंधों को बढ़ावा देते हुए IAF ट्रेनिंग स्कूल में नाइजीरियाई पायलटों को प्रशिक्षित करने की पेशकश की है। इसके अतिरिक्त, भारत ने तेजस बेड़े के संचालन और रखरखाव में ग्राउंड क्रू की सहायता के लिए नाइजीरिया में तीन साल के लिए एचएएल कर्मियों को तैनात करने का प्रस्ताव रखा है।

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