छत्तीसगड़

रेलवे परिक्षेत्र में शहर की तुलना में दो से तीन डिग्री कम रहता है तापमान

बिलासपुर

भारतीय रेलवे का कमाऊपूत जोन मालगाड़ी व ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महती भूमिका निभा रहा है। इसका अनुमान रेलवे क्षेत्र की हरियाली से लगाया जा सकता है। तारबाहर चौक से रेलवे स्टेशन या हेमू नगर या फिर यहां के किसी भी हिस्से में चले जाइए एक अलग सुकून मिलेगा। यह उन विशाल पेड़ों की देन है, जिन्हें रेलवे बरसों से सहेजकर रखा है। पौधे से पेड़ बनने तक देखभाल या सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी। यही वजह है कि रेलवे क्षेत्र का तापमान शहर की अपेक्षा दो से तीन डिग्री कम ही रहता है।शहर से जब राहगीर या यात्री रेलवे परिक्षेत्र की सीमा में प्रवेश करते हैं तो उन्हें एक तरह की सुकून का अहसास होता है।

रेलवे परिक्षेत्र काफी बड़े दायरे में फैला हुआ है। स्टेशन इस पार लगभग 100 एकड़ और उस पार 40 एकड़ क्षेत्र है। यहां व्यवस्थित कालोनियों के अलावा मंडल व जोन के कार्यालय और सभी विभागों के अलग-अलग कार्यालय भी है। इन बिल्डिंगों के निर्माण के बाद भी खास बात यह रही है कि रेल प्रशासन ने हरियाली को नुकसान नहीं होने दिया। यदि आवश्यकता वृक्षों को काटने की आई तो यह प्रयास हुआ कि कम वृक्षों की बलि चढ़े।

इसी का नतीजा है कि रेलवे क्षेत्र का हर हिस्सा हरियाली से घिरा हुआ है। स्टेशन उस पार तो एक या दो नहीं, बल्कि एक दर्जन से अधिक आक्सीजोन है। तारबाहर चौक से रेलवे सीमा शुरू हो जाती है। हरियाली व सुकून सीमा प्रारंभ होते ही महसूस होने लगता है। अफसरों के बंगलों में भी हरे-भरे हैं। रेलवे पर्यावरण को विशेष महत्व दे रही है। जबकि शहर की बात करें तो विकास के नाम पर तारबाहर चौक से लेकर राजेंद्रनगर चौक हरियाली पर इतनी बेदर्दी से कुल्हाड़ी चली कि इन सड़कों पर ढूंढने से भी पेड़ों की छांव नहीं मिलती है। जबकि कटाई से पहले यह योजना बनी थी कि सड़क के दोनों तरफ पौधारोपण किया जाएगा।

लेकिन, कई साल गुजर गए योजना धरातल पर नजर नहीं आई। कटाई के समय ही यह योजना बनाई गई थी की एक पेड़ कटेंगे तो बदले में 10 पौधे लगाएंगे। ऐसा भी नहीं हुआ। रेलवे क्षेत्र की हरियाली की वजह से कई बार ऐसा हुआ की रेलवे क्षेत्र में जमकर वर्षा हो रही हो और शहर सूखा रहा। हरियाली की वजह से यहां पर्यावरण का संतुलन बना हुआ है।

मार्निंग वाक का अलग आनंद
रेलवे परिक्षेत्र की हरियाली इतनी सुकून देती है कि रेलवे अफसर, कर्मचारी से लेकर शहर के अलग-अलग मोहल्ले के रहवासी भी इस क्षेत्र में सुबह की सैर करने के लिए पहुंचते हैं। सेहत का ख्याल रखने वाले इन लोगों का मानना है कि हरियाली की वजह से यहां प्रदूषण कम है। इसलिए सुबह ताजी हवाएं मिलती है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनाए गए उपाय
हेड आन जेनरेशन (एचओजी) प्रौद्योगिकी को अपनाने के साथ ही यह ट्रेनें हरित यानी 'ग्रीन' ट्रेन हो गई है। अब इन ट्रेनों में महंगे डीजल ईंधन को जलाने के बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली ले रही है।
स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, ट्रेन व रेलवे ट्रैक को गंदगी से मुक्त रखने और वातावरण को साफ-सुथरा रखने हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए ट्रेनों के कोच में बायोटायलेट लगाए जा रहे हैं।

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