भारतीय परिवारों की बचत पांच साल में सबसे कम, तीन साल में 9 लाख करोड़ घटी; 2020-21 के बाद से आ रही गिरावट
नईदिल्ली
भारतीय परिवारों की नेट सेविंग तीन वर्षों में 9 लाख करोड़ रुपए से अधिक घटी है। देश की जीडीपी में परिवारों के बचत की हिस्सेदारी घटकर 5.3% पर आ गई है जो 50 साल में सबसे कम है। सांख्यिकी मंत्रालय न की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में परिवारों की शुद्ध बचत 14.16 लाख करोड़ रुपए रह गई जो 2020-21 में 23.29 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई थी। बचत का यह आंकड़ा 5 वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
इससे पहले नेट डोमेस्टिक सेविंग वर्ष 2017-18 में 13.05 लाख करोड़ रुपए था। भारतीय परिवारों पर बैंकों का कुल कर्ज भी 2022-23 में बढक़र 11.88 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो 2021-22 में 7.7 लाख करोड़ रुपए था।
14.2 लाख करोड़ रुपए रह गई 2022-23 में परिवारों की शुद्ध बचत
27.7 लाख करोड़ रही 2022-23 में भारतीय परिवारों की ग्रॉस सेविंग, जो 2021-22 में 26.1 लाख करोड़ था, यानी सेविंग में 14% का इजाफा हुआ। 15.6 लाख करोड़ रुपए भारतीय परिवारों की कुल देनदारी, जो 2021-22 में 9 लाख करोड़ रुपए थी, यानी कर्ज एक साल में 73% बढ़ गया। 1.79 लाख करोड़ रुपए हो गया म्यूचुअल फंड्स में परिवारों का कुल निवेश, जो 2021-22 में केवल 64,084 करोड़ रुपए था। 2.06 लाख करोड़ रहा शेयर और डिबेंचर में निवेश 2022-23 में, जो 2021-22 में केवल 1.07 लाख करोड़ था।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आंकड़े जारी कर बताया कि देश में परिवारों की शुद्ध बचत तीन वर्षों में नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गई है. मंत्रालय की तरफ से जारी ताजा राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी-2024 के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में परिवारों की शुद्ध बचत 23.29 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई थी, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है.
5 साल में सबसे कम
मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में परिवारों की शुद्ध बचत घटकर 17.12 लाख करोड़ रुपये रह गई. यह वित्त वर्ष 2022-23 में और भी कम होकर 14.16 लाख करोड़ रुपये पर आ गई जो पिछले पांच वर्षों का सबसे निचला स्तर है. इससे पहले शुद्ध घरेलू बचत का निचला स्तर वर्ष 2017-18 में 13.05 लाख करोड़ रुपये था. यह 2018-19 में बढ़कर 14.92 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 15.49 लाख करोड़ रुपये हो गया था.
शेयर और म्यूचुअल फंड में बढ़ा निवेश
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2020-21 से लेकर 2022-23 के दौरान म्यूचुअल फंड में निवेश लगभग तीन गुना बढ़कर 1.79 लाख करोड़ रुपये हो गया जो 2020-21 में 64,084 करोड़ रुपये था. शेयरों और डिबेंचर में परिवारों का निवेश इस अवधि में 1.07 लाख करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होकर 2022-23 में 2.06 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
परिवारों की कुल बचत
2018-19 14.9 7.9%
2019-20 15.5 7.7%
2020-21 23.3 11.7%
2021-22 17.1 7.3%
2022-23 14.2 5.3%
(भारतीय परिवारों की कुल बचत लाख करोड़ रुपए में
परिवारों पर बैंकों का कर्ज ऐसे बढ़ा
वर्ष लोन राशि जीडीपी में हिस्सेदारी
2018-19 5.8 3.1%
2019-20 4.8 2.4%
2020-21 6.1 3.0%
2021-22 7.7 3.3%
2022-23 11.9 4.4%
कर्ज भी बढ़कर दोगुना पहुंचा
मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि परिवारों पर बैंक ऋण भी इन तीन वर्षों में दोगुना होकर 2022-23 में 11.88 लाख करोड़ रुपये हो गया है. यह 2020-21 में 6.05 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 7.69 लाख करोड़ रुपये था. वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की तरफ से परिवारों को दिया जाने वाला ऋण भी वित्त वर्ष 2020-21 में 93,723 करोड़ रुपये से चार गुना बढ़कर 2022-23 में 3.33 लाख करोड़ रुपये हो गया. वित्त वर्ष 2021-22 में यह 1.92 लाख करोड़ था.