महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला टाला
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर 10 मई को फैसला सुनाएगा कोर्ट
महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला टाला
न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से बंबई उच्च न्यायालय भवन का तत्काल सुरक्षा ऑडिट कराने को कहा
नई दिल्ली
दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण के मामले में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला टाल दिया है। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने बृजभूषण के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर 10 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 26 अप्रैल को बृजभूषण शरण सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें बृजभूषण ने इस मामले की फिर से जांच की मांग की थी। दरअसल, बृजभूषण शरण सिंह की ओर से 18 अप्रैल को याचिका दाखिल कर कहा गया था कि 7 सितंबर, 2022 को घटना वाले दिन वह भारत में नहीं थे। बृजभूषण ने इस तथ्य की दिल्ली पुलिस से जांच करने का आदेश देने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने 4 अप्रैल को आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया था कि टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है। ऐसे में मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से इजाजत लेना होता है। कोर्ट ने 20 जुलाई, 2023 को बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपित विनोद तोमर को जमानत दी थी।
दिल्ली पुलिस ने 15 जून, 2023 को बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह बालिग महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने 7 जुलाई 2023 को दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से बंबई उच्च न्यायालय भवन का तत्काल सुरक्षा ऑडिट कराने को कहा
नई दिल्ली,
उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय की 150 वर्ष पुरानी इमारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं और अतिरिक्त जगह की आवश्यकता कासंज्ञान लिया और महाराष्ट्र सरकार को तत्काल इस ऐतिहासिक भवन का सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी आर गवई तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की विशेष पीठ ने सरकार से मुंबई में उच्च न्यायालय के नए भवन के निर्माण के लिए चिह्नित स्थलों के रेखाचित्र बनाने की प्रक्रिया तेज करने को कहा।
यह देखते हुए कि राज्य सरकार को उच्च न्यायालय में सुविधाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘तत्परता के साथ कार्य करना होगा’, पीठ ने राज्य के लोक निर्माण विभाग से मामले को गंभीरता से लेने के लिए कहा। उसने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय रेखाचित्र बनाने में तेजी लाने के लिए राज्य लोक निर्माण विभाग और अन्य से परामर्श कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा परिसर की संरचनात्मक सुरक्षा के लिए राज्य पीडब्ल्यूडी तत्काल एक सुरक्षा ऑडिट करेगा और इस संबंध में उठाए गए कदमों से अगली सुनवाई में अवगत कराएगा।’’
शीर्ष अदालत ने अपने स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए बंबई बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन ठक्कर और अन्य बार नेताओं की 29 अप्रैल की पत्र याचिका पर संज्ञान लिया। पीठ ने कहा, ‘‘मौजूदा इमारत 150 साल पुरानी है। उच्च न्यायालय ने मुंबई के बांद्रा पूर्व में जमीन के लिए महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’