उत्तर प्रदेश

बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी का नामांकन के बाद कटा टिकट, जौनपुर से मायावती ने बसपा सांसद श्याम सिंह यादव को मैदान मे…

जौनपुर

यूपी के बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने जेल से छूटने के बाद अपनी पत्‍नी श्रीकला रेड्डी सिंह का टिकट वापस करा दिया है। बसपा ने उनकी जगह पार्टी से मौजूदा सांसद श्‍याम सिंह यादव पर एक बार फिर दांव लगाया है। सांसद श्याम सिंह यादव ने बताया कि पार्टी सुप्रीमो मायावती ने रात एक बजे उन्‍हें फोन कर दोबारा प्रत्याशी बनाए जाने की जानकारी दी।

उन्‍होंने कहा, 'बहन जी ने मुझै एक बार फिर अपने आशीर्वाद से नवाजा है। बहनजी ने कहा कि अपने पेपर तैयार कर लो। मैं आज कहीं बाहर निकलने वाला था लेकिन संयोग की बात है कि रात में उनका फोन आ गया है। मेरे सब पेपर तैयार हैं जहां तक टिकट की बात है वो हमारे कोआर्डिनेटर साहब, खरवार साहब लखनऊ से लेकर चले हैं। उम्‍मीद है कि एक-दो घंटे में मिल जाएगा। धनंजय सिंह की पत्‍नी का टिकट कटने के बारे में पूछे जाने पर उन्‍होंने कहा कि मैं इधर कुछ दिनों से अपने कामों में व्‍यस्‍त था, मैंने किसी का इंटरव्‍यू वगैरह नहीं देखा। '

जौनपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने महाराष्‍ट्र की राजनीति में लंबी पारी खेल चुके कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है जबकि समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा पर दांव लगाया है। बसपा ने धनंजय सिंह की पत्‍नी श्रीकला सिंह को टिकट दिया था जिन्‍होंने पिछले दिनों नामांकन भी कर दिया था।

जौनपुर में छठवें चरण में 25 मई को मतदान होना है। आज नामांकन की अंतिम तारीख है। श्रीकला का टिकट वापस होने के बाद बताया जा रहा है कि आज ही सांसद श्‍याम सिंह यादव नामांकन करेंगे। श्‍याम, जौनपुर से बसपा सांसद हैं। बसपा ने 16 अप्रैल को श्रीकला रेड्डी सिंह को जौनपुर से टिकट दिया था।

खुद चुनाव लड़ना चाहते थे धनंजय
बता दें कि धनंजय सिंह पहले खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। वह इसकी तैयारी में थे लेकिन नमामि गंगे परियोजना का काम करने वाली फर्म के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण व रंगदारी मांगने के आरोप में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद इरादा बदलना पड़ा। बदले हालात में उन्‍होंने अपनी पत्‍नी श्रीकला रेड्डी को आगे किया। पूर्व सांसद धनंजय और उनके साथी संतोष विक्रम के खिलाफ अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को रात दस बजे लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था। इस मामले में कोर्ट ने धनंजय सिंह और संतोष विक्रम को छह मार्च को सात साल की सजा सुनाई थी।

धनंजय सिंह की ओर से हाईकोर्ट में जमानत और सजा पर स्टे के लिए अर्जी डाली गई थी। हाईकोर्ट ने उन्‍हें जमानत दे दी। हालांकि सजा वाली अपील खारिज कर दी। एक मई को धनंजय बरेली जेल से रिहा किए गए और दर्जनों गाड़ियों के काफिले के साथ जौनपुर पहुंचे। धनंजय को जौनपुर जेल से बरेली जेल में कुछ दिन पहले ही शिफ्ट किया गया था।

मजबूरी या रणनीति?
धनंजय सिंह ने जेल से बाहर आने के तुरंत बाद मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अब वह अपनी पत्‍नी श्रीकला के चुनाव प्रचार में जुटेंगे। लेकिन पांच दिन बाद ही पत्‍नी का टिकट वापस कराने की बात आई तो अब कई लोग हैरान हैं। इस फैसले के पीछे धनंजय सिंह की कोई रणनीति है या मजबूरी इसे लेकर लोग अपना-अपना अनुमान लगा रहे हैं।

 

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