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डीवाई चंद्रचूड़ ने टीचर के बेंत से पिटाई का किशोर न्याय संगोष्ठी में किया खुलासा

काठमांडू.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने बचपने के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे स्कूल में टीचर उनकी पिटाई किया करते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी याद है कि कैसे अपने शिक्षक से उनके हाथ पर बेंत न मारने की विनती की थी। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने माता-पिता को इसके बारे में नहीं बताया। वह घटना से शर्मिंदा थे और निशान छिपाते रहते थे।

मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को काठमांडू में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किशोर न्याय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही है। उन्होंने कहा, "आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके मन पर जीवन भर गहरा प्रभाव रहता है। मैं स्कूल का वह दिन कभी नहीं भूलूंगा। मैं कोई किशोर अपराधी नहीं था, जब मेरे हाथों पर बेंतें मारी गई थीं। मेरा अपराध सिर्फ इतना थी कि मैंने क्राफ्टवर्क के लिए कक्षा में सही आकार की सुइयां नहीं लाई थी।" उन्होंने कहा, "मुझे अभी भी अपने शिक्षक से विनती करना याद है कि वह मेरे हाथ पर नहीं, बल्कि मेरे नितंब पर बेंत मारे।" मुख्य न्यायाधीश ने इस बात स्वीकार किया कि इस प्रकरण ने उनके दिल और आत्मा पर एक छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि उन्हें वह पिटाई आज भी याद है। उन्होंने कहा, "बच्चों पर उपहास की छाप काफी गहरी होती है।" आपको बता दें कि हाल ही में उनकी अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की 30 सप्ताह की गर्भावस्था को तत्काल खत्म करने का आदेश दिया था। चंद्रचूड़ ने कहा, "नतीजों के डर से और अपनी बेगुनाही को साबित करने में उत्पन्ने होने वाली बाधाओं के कारण वह चुप रही। वह उस दुर्व्यवहार को तब तक सहती रही, जब तक वह गर्भवती नहीं हो गई।" उन्होंने कहा, "उसकी मानसिक और शारीरिक भलाई की सुरक्षा के महत्व को पहचानते हुए अदालत ने गर्भपात का उसका अनुरोध स्वीकार कर लिया। हालांकि, उसने अंततः इसके खिलाफ फैसला किया।"

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