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नेपाल के 100 रुपये के नोट पर नया नक्शा छापने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया स्पष्ट रुख

भुवनेश्वर.

नेपाल की 100 रुपये की करेंसी पर भारत के स्थलों को दर्शाने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसी भी करेंसी नोट पर कुछ छापने से जमीनी स्थिति नहीं बदल जाती है। बता दें कि काठमांडू ने 100 रुपये का ऐसा नोट छापने का ऐलान किया है जिसपर लिपुलेख, लिपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा। मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने यह ऐलान किया है।

सरकार की प्रवक्ता रेखा शर्मा ने कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए मीडियाकर्मियों को बताया, ''प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नोट में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा।'' इसके अलावा नोट के पीछे छपे पुराने नक्शे को बदल दिया जाएगा। भुवनेश्वर में मीडिया से बात करते हुए जयशंकर ने कहा, हमारा स्टैंड साफ है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को लेकर नेपाल के साथ बात हुई थी। इसी बीच उन्होंने एकतरफा फैसले ले लिए और स्थिति बिगड़ गई। बता दें कि जून 2020 में नेपाल ने अपना राजनीतिक नक्शा अपडेट किया था। इसमें भी लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाके को दिखाया गया था। भारत ने इसे एकतरफा फैसला बताया था। इससे पहले भारत ने भारत ने भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का मैप जारी किया था जिसमें उत्तराखंड राज्य का कालापानी भी शामिल था। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि ये तीनों ही इलाके भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।

बता दें कि भारत और नेपाल के बीच करीब 1850 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है। यह सिक्किम, पश्चि म बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छूता है। नेपाल का दावा काली नदी के साथ लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख पर है। उसका कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान इसको लेकर फैसला समझौता हुआ था।

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