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UNGA में भारत ने पाकिस्तान के द्वारा भारत के आंतरिक मुद्दों पर की गई टिप्पणियों की निंदा

नई दिल्ली

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत ने यूएनजीए में पाकिस्तान के राजदूत द्वारा भारत के आंतरिक मुद्दों पर की गई टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि पाकिस्तान (Pakistan) का सभी पहलुओं में "सबसे संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड" है. सभा में बोलते हुए भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) ने कहा कि हम इस चुनौतीपूर्ण वक्त के बीच शांति कायम करने की कोशिश करते हैं, हमारा ध्यान रचनात्मक बातचीत पर रहता है. इस तरह हम एक निश्चित प्रतिनिधिमंडल की टिप्पणियों को दरकिनार करना चुनते हैं, जिनमें न केवल मर्यादा की कमी है, बल्कि उनकी विनाशकारी और हानिकारक रवैये के कारण हमारे सामूहिक प्रयासों में भी बाधा आती है.

भारतीय प्रतिनिधि ने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि हम उस प्रतिनिधिमंडल को सम्मान और कूटनीति के केंद्रीय सिद्धांतों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जिन्हें हमेशा हमारी चर्चाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए. क्या यह उस देश के पास पूछने के लिए ज्यादा चीजें हैं, जो अपने आप में सभी पहलुओं पर संदिग्ध ट्रैक रिकॉर्ड रखता है?

कंबोज का यह बयान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम की 'शांति की संस्कृति' पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को संबोधित करते हुए कश्मीर, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ी भारत के खिलाफ कही गई बातों के बाद आया है.

अपने संबोधन के दौरान, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि आतंकवाद, शांति की संस्कृति और सभी धर्मों की मूल शिक्षाओं के सीधे विरोध में है.

उन्होंने कहा कि यह कलह फैलाता है, दुश्मनी पैदा करता है और दुनिया भर में सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं आगे बढ़ाने वाले सम्मान और सद्भाव के मूल्यों को कमजोर करता है. सदस्य देशों के लिए शांति की सच्ची संस्कृति को बढ़ावा देने और दुनिया को एक एकजुट परिवार के रूप में देखने के लिए एक्टिव होकर मिलकर काम करना जरूरत है. जैसा कि मेरा देश इसमें सच्चा यकीन रखता है.

'दुनिया चुनौतियों का सामना कर रही…'

कंबोज ने आगे कहा कि दुनिया को भूराजनीतिक तनाव और असमान विकास से अगम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. धर्म और विश्वास के आधार पर बढ़ती असहिष्णुता, भेदभाव और हिंसा वास्तव में हमारे ध्यान की मांग करती है.

उन्होंने आगे कहा कि चर्चों, मठों, गुरुद्वारों, मस्जिदों, मंदिरों और आराधनालयों सहित पवित्र स्थलों पर बढ़ते हमलों से हम खास तौर से चिंतित हैं. ऐसे मामलों के लिए वैश्विक समुदाय की तरफ से तेज और एकजुट प्रतिक्रिया की जरूरत है.

कंबोज ने कहा कि यह अहम है कि हमारी चर्चाओं में राजनीतिक उपयुक्तता का विरोध करते हुए इन मुद्दों पर बात होने की जरूरत है. हमें इन चुनौतियों से सीधे निपटना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि वे हमारी नीति, संवाद और अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव के केंद्र में हों.

'इस्लाम, यहूदी, ईसाई और पारसी धर्म का गढ़ है भारत…'

कंबोज ने UNGA मीटिंग में कहा कि महात्मा गांधी द्वारा बताया अहिंसा का सिद्धांत शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का आधार बना हुआ है. भारत न केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का जन्मस्थान है, बल्कि इस्लाम, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और पारसी धर्म का गढ़ भी है.

कंबोज ने कहा कि अपनी धार्मिक और भाषाई विविधता के साथ, भारत की सांस्कृतिक  सहिष्णुता और सह-अस्तित्व का प्रमाण है. दिवाली, ईद, क्रिसमस और नवरोज जैसे त्यौहार धार्मिक सीमाओं से परे मनाए जाते हैं.

भारत ने 'शांति की संस्कृति पर घोषणा और कार्रवाई के कार्यक्रम का फॉलो-अप' प्रस्ताव पेश करने के लिए बांग्लादेश की भी सराहना की.

 

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