सीजन में पहली बार दिल्ली की हवा में नाइट्रोजन डॉयऑक्साइड हुआ शामिल
नई दिल्ली
राजधानी में एक बार फिर प्रदूषण का लेवल खराब स्तर पर पहुंच गया है। इस सीजन में पहली बार मुख्य प्रदूषक में नाइट्रोजन डॉयऑक्साइड शामिल रहा है। गर्मी के दौरान गाड़ियों से निकलने वाला धुआं दिल्ली की फिजा में नाइट्रोजन डॉयऑक्साइड के स्तर को कई गुणा तक बढ़ा देता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एयर बुलेटिन के अनुसार राजधानी का एक्यूआई सोमवार को 224 रहा। मुख्य प्रदूषक में एनओ-2 के अलावा पीएम10 और पीएम 2.5 शामिल रहा।
शादीपुर का एक्यूआई 351, आनंद विहार का एक्यूआई 319 रहा। नॉक्स का स्तर तय मानकों से अधिक रहा। शादीपुर में अधिकतम एनओ-2 का स्तर 91 एमजीसीएम, अलीपुर में इसका स्तर 86 एमजीसीएम, बवाना में 72 एमजीसीएम, मुंडका में 125 एमजीसीएम, आनंद विहार में 157 एमजीसीएम और चांदनी चौक में 368 एमजीसीएम रहा। तय मानक 80 एमजीसीएम है।
लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कत
सीपीसीबी के अनुसार नाइट्रोजन डायऑक्साइड का मुख्य सोर्स गाड़ियों से निकलने वाला धुआं है। पूर्वानुमान के अनुसार 30 अप्रैल को प्रदूषण का स्तर खराब रहेगा। इस समय दिल्ली में स्थानीय धूल के साथ राजस्थान व अन्य शहरों से भी धूल आ रही है। इसी वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। 1 से 2 मई के दौरान इसमें थोड़ी कमी आ सकती है। प्रदूषण सामान्य स्तर पर रहेगा। इसके बाद अगले छह दिनों तक प्रदूषण सामान्य स्तर पर रह सकता है। सोमवार को हवाएं 10 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे रही। अब 30 अप्रैल को हवाओं की गति 16 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे रहेगी। 1 मई को इनकी गति 12 से 25 किलोमीटर प्रति घंटे और 2 मई को इनकी गति 20 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे रह सकती है।
क्या होता है एनओ-2 का असरएनओ-2 वाली हवा में सांस लेने से सिरदर्द एक आम समस्या है। यह फेफड़ों पर सीधा असर करती है। कम समय के लिए भी एनओ-2 युक्त हवा में सांस लेने पर सांस की परेशानियां होने लगी है। इसकी वजह से अस्थमा, कफ, सांस की तकलीफ, छींके आना आदि हो सकता है।