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उत्तराखंड: शत्रु संपत्ति की उपसंरक्षक बनाए गए डीएम, गृह मंत्रालय ने जारी किए आदेश

देहरादून,
 राजधानी देहरादून, हरिद्वार और नैनीताल में चिन्हित शत्रु संपत्तियों पर अब डीएम निगरानी करेंगे। इस आशय का आदेश केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी कर दिए गए है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड की धामी सरकार पहले से ही शत्रु संपत्तियों को खाली कराने के लिए अपना अभियान छेड़े हुए है।

उत्तराखंड में नैनीताल डीएम ने हाल ही में करीब पांच सौ करोड़ की मेट्रोपोल होटल शत्रु संपत्ति पर अपना कब्जा लिया है, देहरादून डीएम ने भी काबुल राजा की संपत्ति पर अपना कब्जा लिया है।अभी राज्य में अन्य बेशकीमती शत्रु संपत्तियां है, जिनपर का्रवाई गतिमान बताई जा रही है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालिया अधिसूचना में कहा है राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट, अपने अपने जिलों में आने वाली शत्रु सम्पत्ति के लिए उपसंरक्षक के रूप में काम करेंगे, हालांकि पहले भी डीएम ही देखरेख करते थे लेकिन अब कुछ संशोधन करते हुए गृह मंत्रालय ने डीएम को और अधिकार दे दिए है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है राज्यों के जिला मजिस्ट्रेट अपने जिलों में आने वाली शत्रु सम्पत्ति के लिए उपसंरक्षक के रूप में काम करेंगे। शत्रु सम्पत्ति का मतलब है कि वो सम्पत्ति जिसके मालिक आजादी के दौरान यहां अपनी सम्पत्ति को छोड़कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान,चीन या किसी ऐसे देश में जाकर बस चुके है और वहां नागरिक बन चुके हैं। भारत सरकार ऐसी सम्पत्ति को अपने अधीन लेकर उसे शत्रु सम्पत्ति घोषित कर चुकी है।

शत्रु सम्पत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मामला भी पहुंचा था। मामले की सुनवाई करते हुए इसी साल फरवरी में जस्टिस नागरत्ना ने 143 पेजों में अपना फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि भारत सरकार शत्रु सम्पत्ति को तब तक अपना नहीं मान सकती जब तक वो एक संरक्षक के सुपुर्द है।

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, यह उन लोगों की सम्पत्ति है जो पाकिस्तान और चीन जाकर बस गए थे, लेकिन उनकी सम्पत्ति भारत में ही रह गई। भारत सरकार ने इसे शत्रु सम्पत्ति घोषित किया। इसके कंट्रोल करने के लिए सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, 1968 लागू किया था। आमतौर पर माना जाता है कि शत्रु सम्पत्ति में सिर्फ जमीन, घर और मकान शामिल होता है, जबकि ऐसा नहीं है। सोना, चांदी और कीमती चीजें भी इसके दायरे में आती हैं।

देश में कितनी शत्रु सम्पत्ति?

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, भारत सरकार के पास 12,611 शत्रु सम्पत्तियां हैं। इनकी कीमत एक लाख करोड़ रुपए बताई गई है। ऐसी सम्पत्ति के संरक्षण का अधिकार कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया (सीईपीआई) के पास है। यह भारत सरकार का डिपार्टमेंट है। इसमें सबसे ज्यादा 12 हजार 485 संपत्तियां पाकिस्तान के नागरिकों की है। वहीं, 126 संपत्तियां चीनी नागरिकों की हैं।

राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 6,255 शत्रु सम्पत्तियां हैं। वहीं, दूसरे पायदान पर पश्चिम बंगाल है। यहां 4 हजार 88 ऐसी सम्पत्ति हैं। दिल्ली में इनकी संख्या 659 है। उत्तराखंड में भी 23 संपत्तियां चिन्हित है।

क्या कहता है कानून, किसके पास सम्पत्ति बेचने का अधिकार

भारत-पाकिस्तान की जंग के बाद 1968 में शत्रु सम्पत्ति कानून लागू किया गया था। हालांकि, बाद में इसमें कई बदलाव किए गए। लेकिन सबसे अहम संशोधन 2017 में हुआ, जब कस्टोडियन को इसे बेचने का अधिकार दिया गया। इससे पहले तक इसे बेचने पर रोक थी। कस्टोडियन यानी जो इसकी देखरेख करता है। इस कानून के तहत जिस शख्स की यह प्रॉपर्टी थी, उसके फैमिली मेम्बर भी इस पर अधिकार नहीं जता सकते।

2017 से कस्टोडियन को यह अधिकार दिया गया है कि वो इसे बचे सके। इस प्रॉपर्टी को जो शख्स खरीदेगा उसके पास इसके सभी अधिकार होंगे। यानी उसके बाद अगली पीढ़ी पर इसका अधिकार होगा। चूंकि सरकार ने ऐसी सम्पत्ति के संरक्षण का अधिकार कस्टोडियन ऑफ एनेमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया (सीईपीआई) को दिया है, इसलिए वही तय करेगा कि इसका संरक्षण कैसे करता है और बेचने की स्थिति में किस तरह की प्रक्रिया को अपनाना है।

 

 

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