हम 2026 में एक सेक्शन में पहली बुलेट ट्रेन चलाने के लिए तैयार हैं- अश्विनी वैष्णव
मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और बड़ा ड्रीम प्रोजेक्ट जल्द ही पूरा होने जा रहा है। देश के रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए विभिन्न स्टेशनों के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और हम 2026 में एक सेक्शन में पहली बुलेट ट्रेन चलाने के लिए तैयार हैं।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अहमदाबाद-मुंबई रूट पर बुलेट ट्रेन का काम बहुत अच्छे से चल रहा है। इसके लिए 290 किलोमीटर से अधिक का काम पहले ही किया जा चुका है। इसके लिए आठ नदियों पर पुल बनाए गए हैं। 12 स्टेशनों पर काम चल रहा है। कई स्टेशन ऐसे हैं, जिसका काम पूरा होने वाला है। इसके साथ ही दो डिपो पर काम चल रहा है।
इस दिन पहली बार पटरियों पर दौड़ेगी देश की पहली बुलेट ट्रेन
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2026 में बुलेट ट्रेन के पहले खंड के परिचालन के लिए काम बहुत तेज गति से चल रहा है। बुलेट ट्रेन एक बेहद जटिल परियोजना है। इस पर काम 2017 में शुरू हुआ और डिजाइन को पूरा करने में लगभग ढाई साल लग गए।केंद्रीय मंत्री ने बताया, “इसका डिज़ाइन बहुत जटिल है क्योंकि जिस गति से ट्रेन को चलाना होता है, उसमें कंपन बहुत तेज़ होता है।” अश्विनी वैष्णव ने विस्तार से बताया, “उन कंपनों को कैसे मैनेज करें? अगर हमें ऊपर से करंट लेना है तो वह करंट कैसे लें? उसकी गति, एरोडायनामिक्स आदि जैसी हर चीज को बहुत सावधानी से देखना होगा और उसके तुरंत बाद काम शुरू हो जाएगा।”
टनल के अंदर 320 किमी की रफ्तार से चलेंगी बुलेट ट्रेनें
इसके साथ ही अश्विनी वैष्णव ने परियोजना के लेट होने पर कहा कि पहले तो कोविड महामारी के कारण थोड़ा झटका लगा उसके बाद महाराष्ट्र में, उद्धव ठाकरे की सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था, जिससे परियोजना में देरी हुई। लेकिन, काम अब बहुत अच्छी प्रगति पर है।” बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में 21 किमी लंबी सुरंग है, जिसमें 7 किमी समुद्र के नीचे का हिस्सा भी शामिल है। सुरंग का सबसे गहरा टनल 56 मीटर नीचे है।
PM मोदी का है ड्रीम प्रोजेक्ट
बता दें कि जापान की शिंकानसेन तकनीक (जिसे बुलेट ट्रेन भी कहा जाता है) PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसका उपयोग करके मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल का निर्माण करना और लोगों के लिए तेज गति वाली परिवहन प्रणाली विकसित करना इसका उद्देश्य है।