देश

ओडिशा की जनता को देश में सबसे ज्यादा महंगाई का बोझ उठाना पड़ता है

नई दिल्ली
 महंगाई बढ़ ही रही है। महंगाई की वजह से यूं तो देश के हर राज्य में जीवन यापन करना मुश्किल होता जा रहा है। लेकिन, नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि बीते मार्च महीने में दिल्ली के लोगों ने सबसे कम महंगाई का सामना किया जबकि आडिशा के लोगों को सबसे महंगा सामान खरीदना पड़ा।

22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का आता है डेटा

टीओआई के मुताबिक देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की महंगाई का आंकड़ा हर महीने पब्लिश किया जाता है। इनमें से 13 राज्यों में ओवरऑल इनफ्लेशन रेट 4.9 फीसदी से अधिक था। इनमें से ओडिशा में महंगाई की दर सबसे अधिक 7.1% दर्ज की गई थी। इसके बाद असम और हरियाणा में 6.1% दर्ज की गई थी। बिहार में 5.7% की दर दर्ज की गई, जबकि तेलंगाना में 5.6% की दर देखी गई। लोग आमतौर पर दिल्ली की महंगी जीवन शैली की बात करते हैं। लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में सबसे कम महंगाई की दर, 2.3% दर्ज की गई।

शहरी क्षेत्रों में कहां ज्यादा महंगाई

शहरी क्षेत्रों में भी ओडिशा में सबसे अधिक महंगाई की दर देखी गई। वहां पिछले महीने 6.5% मुद्रास्फीति की दर देखी गई। इसके बाद राजस्थान और तेलंगाना का स्थान है।

मार्च में घटी महंगाई की दर

पहले जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि खाद्य मुद्रास्फीति में मामूली कमी के कारण मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीने के निचले स्तर 4.9% पर आ गई, जो फरवरी में दर्ज 5.1% से कम है। यह डेटा आम चुनावों के पहले चरण से पहले आया है। जिसके लिए मतदान शुक्रवार को निर्धारित है। ग्रामीण मुद्रास्फीति 5.5% से अधिक थी, जबकि शहरी 4.1% थी।

कहीं कम कहीं ज्यादा क्यों?

ऐसे कई कारक हैं जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच महंगाई की दरों में भिन्नता का कारण बनते हैं। इनमें सप्लाई मैनेजमेंट और मौसम संबंधी घटनाओं का प्रभाव शामिल है। जबकि, हाल के महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति कम हुई है, सब्जियों, दालों और कुछ खाद्य पदार्थों में कुछ दबाव बिंदु बने हुए हैं।

महंगाई की दर 7 फीसदी के आसपास

विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति दर 7% के आसपास रहेगी और देश के कुछ हिस्सों में अपेक्षित गर्मी से सब्जियों और जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की कीमतों पर नया दबाव पड़ने की संभावना है। पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनैतिक तनाव की पृष्ठभूमि के खिलाफ वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों का सख्त होना भी आने वाले महीनों में कीमतों के लिए दबाव बिंदु के रूप में कार्य कर सकता है।

ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें कम

हाल के सप्ताहों में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं। साथ ही अब विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल की दूसरी छमाही में दरों पर आगे बढ़ सकता है। हालांकि, उनका एक्शन भी जियो-पोलिटिकल सिचुएशन और इंफ्लेशन ट्रांजेक्टरी से ही निर्देशित होगा। इस महीने की शुरुआत में अपने नवीनतम मौद्रिक नीति वक्तव्य में, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि खाद्य पदार्थ की कीमतों की अनिश्चितताएं आगे चलकर मुद्रास्फीति की गति पर असर डाल रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button